अरि:
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अरिः (पुल्लिंग) [ॠ+इन]
- 1. शत्रु, दुश्मन
- 2. मनुष्य जाति का शत्रु (मनुष्य के मन को व्याकुल करने वाले 6 शत्रु बताए गए हैं- कामः क्रोधस्तथा लोभो मदमोहौ च मत्सरः;-कृतारिषड्वर्गजयेन-कि. 1/9
- 3. छ: की संख्या
- 4. गाड़ी का भाग
- 5. पहिया
सम. कर्षण (विशेषण) शत्रुओं को पीड़ित या पराभूत करने वाला,- कुलम् (नपुं.)
- 1. शत्रुओं का समूह
- 2. शत्रु-घ्नः (विशेषण) शत्रुओं का नाश करने वाला,-चिंतनम् (नपुं.),- चिंता (स्त्रीलिंग) शत्रुओं के नाश के लिए बनाई हुई योजनाएँ, विदेश विभाग का प्रशासन,- नन्दन (विशेषण) शत्रु को प्रसन्न करने वाला, शत्रु को विजय दिलाने वाला,- भद्रः बड़ा शक्तिशाली शत्रु - रघु. 14/31,-सूदनः,-हन्,-हिंसकः (पुल्लिंग) शत्रुओं का नाश करने वाला।[1]
इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 100 |
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