अर्थिन्‌

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अर्थिन्‌ (विशेषण) [अर्थ+इनि]

1. प्राप्त करने की चेष्टा करने वाला, अभिलाषी, इच्छुक-करण. अथवा समास में-कोषदण्डाभ्याम्-मुद्रा. 5, को वधेन ममार्थी स्यात्-महा., अर्थार्थी-पंच 1/4/9
2. अनुरोध करने वाला या किसी से कुछ मांगने वाला (संब. के साथ)-अर्थी वररुचिमेऽस्तु-कथा.
3. मनोरथ रखने वाला, (पुल्लिंग)
1. याचक, प्रार्थयिता, भिक्षुक, दीन याचक, निवेदक, विवाहार्थी-यथाकामार्चितार्थिनां-रघु. 1/6, 2/64, 5/31, 9/27, कोऽर्थी गतो गौरवम्-पंच. 1/146, कन्या-रत्नमयोनिजन्म भवतामास्ते वयं चार्थिनः-महावी. 1/30
2. (विधि में) वादी, अभियोक्ता, प्राभियोजक,-स धर्मस्थसखः शश्वदर्थिप्रत्यर्थिनां स्वयं, ददर्श संशयच्छेद्यान् व्यवहारानतन्द्रितः-रघु. 17/39
3. सेवक अनुचर


सम.-भावः (पुल्लिंग) याचना, माँगना, प्रार्थना-मा. 9/30,-सात् (क्रि. वि.) भिखारियों के अधिकार में करके-विभज्य मेरुर्न यदर्थिसात्कृतः-नै. 1/16[1]


इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 106 |

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