अर्वाच्
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
अर्वाच् (विशेषण) [अवरे काले देशे वा अञ्चति अञ्च+क्विन् पृषो. अवदिशः]
- 1. इस ओर आते हुए (विप. परञ्च)
- 2. की ओर मुड़ा हुआ, किसी मिलने के लिए आता हुआ
- 3. इस ओर होने वाला
- 4. नीचे या पीछे होने वाला
- 5. बाद में होने वाला, बाद का-कू (अव्य.)
- 1. इस ओर, इधर की तरफ
- 2. किसी एक स्थान से
- 3. पहले (समय या स्थान की दृष्टि से)-यत्सृष्टेरर्वाक् सलिलमयं ब्रह्माण्डमभूत्-का. 125 अर्वाक् संवत्सरात्स्वामी हरेत परतो नृपः-याज्ञ. 2/173, 113, 1/254
- 4. नीचे की ओर, पीछे, नीचे (विप. ऊर्ध्व)
- 5. बाद में, पश्चात्
- 6. (अधि. के साथ) के अन्दर, निकट-एते चार्वागुपवनभुवि छिन्नदर्भाङ्कुरायाम्-श. 1/15
सम.-कालः (पुल्लिंग) बाद में आने वाला समय,-कालिक (विशेषण) आसन्न काल से संबंध रखने वाला, आधुनिक, °ता आधुनिकता, उत्तरकालीनता,-कूलम् नदी का निकटस्थ तट।-शत (विशेषण) सौ से नीचे का।-सौतस (विशेषण) व्यभिचारी, लम्पट।[1]
इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 108 |
संबंधित लेख