अवकाश:

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अवकाशः (पुल्लिंग) [अव+का+घञ्]

1. अवसर, मौका,-ताते चापद्वितीये वहति रणधुरां को भयस्यावकाशः[1], लभ् के साथ प्रयुक्त होकर इसका अर्थ होता है-कार्य के लिए क्षेत्र या अवसर प्राप्त करना,-लब्धावकाशोऽविध्यन्मां तत्र दग्धो मनोभवः[2]

(क) स्थान, जगह, ठौर-अवकाशं किलोदन्वान्रामायाभ्यर्थितो ददौ[3] इसी प्रकार-अन्यमवकाश-मवगाहे[4], यथावकाशं नी उचित स्थान पर ले जाना[5],-अस्माकमस्ति न कथंचिदिहावकाशः[6], अवकाशो विविक्तोऽयं महानद्योः समागमे[7]

(ख) पदार्पण, प्रवेश, पहुँच, अन्तर्गमन (छाया) शुद्धे तु दर्पणतले सुलभावकाशा[8], लभ् के साथ बहुधा इन्हीं अर्थों में प्रयोग-लब्धावकाशो मनोरथः[9], शोकावेगदूषिते मे मनसि विवेक एव नावकाशं लभते प्रबो., कृ या दा से पूर्व लगकर भी अर्थ होता है-'स्थान देना', 'प्रवेश कराना', 'मार्ग देना'-असौ हि दत्त्वा तिमिराव[10], तस्माद्देयो विपुलमतिभिर्नाव-काशोऽधमानाम्[11]; अवकाशं रुधू-रोकना, बाधा डालना-नयनसलिलोत्पीड-रुद्धावकाशा (निद्रा)[12]

3. अन्तराल, बीच का स्थान या समय

4. द्वारक, विवर[13]


इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. वेणी. 3/7
  2. कथा. 1/412
  3. रघु. 4/58
  4. विक्रम. 4
  5. रघु. 6/14
  6. पंच. 4/8
  7. रामा.
  8. श. 7/32
  9. श. 1
  10. काशम्-मृच्छ. 3/6
  11. पंच. 1/366
  12. मेघ. 91
  13. संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 114 |

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