अवतार:

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अवतारः (पुल्लिंग) [अव+तृ+घञ्]

1. उतार, उदय, आरंभ-वसन्तावतारसमये[1]

2. रूप, प्रकट होना-मत्स्यादिभिरवतारैरवतारवताऽवतावसुधाम्[2]

3. देवता का भूमि पर पदार्पण, अवतार लेना-कोऽप्येष संप्रति नवः पुरुषावतारः[3] धर्मार्थकामामोक्षाणामवतार इवावान्[4]

4. विष्णु का अवतार-विष्णुर्वेन दशावतारगहने क्षिप्तो महासंकटे[5], (विष्णु के दस अवतार नीचे लिखे श्लोक में बताये गये हैं:-

वेदानुद्धरते जगन्निवहते भूगोलमुद्धिभ्रते, दैत्यं दारयते वलिं छलयते क्षत्र-क्षयं कुर्वते। पौलस्त्यं जयते हलं कलयते कारुण्य मातन्वते, म्लेच्छान्मूर्छयते दशाकृतिकृते कृष्णाय तुभ्यं नम:॥ मत्स्य: कूर्मों वराहश्च नरसिंहोस्थ वामन:, रामो रामश्च कृष्णश्च बुद्ध: कल्की च ते दश ॥[6])

5. नया दर्शन, विकास, जन्म-नवावतारं कमलादिवोत्पलम्‌[7]

6. तीर्थ स्थान

7. (जहाज़ से) उतरने का स्थान

8. अनुवाद

9. जोहड़, तालाब

10. प्रस्तावना, भूमिका[8]


इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. श. 1
  2. शंकर.
  3. उत्तर. 5/33
  4. रघु. 10/84
  5. भर्तृ. 3/95
  6. गीत.
  7. रघुवंश 3/36, 5/24
  8. संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 117 |

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