अवसरः (पुल्लिंग) [अव+सृ+अच्]
- 1. मौका, सुयोग, समय-नास्यावसरं दास्यामि[1], भवङ्गिराम- वसरप्रदानाय वचांसि नः[2], विसर्जन सत्कारः[3] 'प्राप्तम्-मौके के मुताबिक[4]
- 2 (अतः) उपयुक्त सुयोग-शशंस सेवावसरं सुरेभ्यः [5], अवसरोऽयमात्मानं प्रकाशयितुम्[6], 'अनवसर' भी
- 3. स्थान, जगह, क्षेत्र
- 4. अवकाश, लाभप्रद अवस्था
- 5. वत्सर
- 6. वर्षण
- 7. उतार
- 8. गुप्त परामर्श-प्राप्त (विशेषण) नौकरी की अवधि या सेवाकाल समाप्त हो जाने पर कार्य से पृथक होने वाला।-वाद (पुल्लिंग) प्रत्येक सुअवसर से लाभ उठाने की प्रवृत्ति या नीति।-वादिन (विशेषण) जो किसी स्थिर नीति पर दृढ़ न रहकर प्रत्येक उपयुक अवसर से पूरा-पूरा लाभ उठाने का प्रयत्न करे।[7]
इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ -श. 2
- ↑ -शि. 2/7
- ↑ -श. 7.
- ↑ -मालवि. 1
- ↑ कु. 7/40
- ↑ -श. 1
- ↑
संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 123 |
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