अव्ययीभाव:

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अव्ययीभावः (पुल्लिंग) [अनव्ययमव्ययं भवत्यनेन, अव्यय+च्वि+भू+घञ्]

1. संस्कृत भाषा के चार मुख्य समासों में से एक, क्रिया विशेषण समास (अव्यय से बना हुआ अर्थात् अव्यय अथवा क्रिया विशेषण तथा संज्ञा के मेल से बना हुआ) अधिहरि, सतृणम्-आदि।
2. व्यय का अभाव (दरिद्रता के कारण)-द्वन्द्वो द्विगुरपि चाहमद्‌ङ्गेहे नित्यमव्ययीभावः, तत्पुरुष कर्मधारय येनाहं स्यां बहुव्रीहिः। उद्भट. (जो संस्कृत के समासों को आंखों के सामने रख देता है)
3. अनश्वरता[1]


इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 129 |

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