अस्‌

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असू (अदा. पर.) [अस्ति, आसीत्, अस्तु, स्यात्-आर्धधातुक लकारों में सदोष रूपरचना अर्थात् भू धातु से]

1. होना, रहना, विद्यमान होना 2. होना (अपूर्ण विधेयक की क्रिया या विधेयक शब्द के रूप में प्रयुक्त, बाद में संज्ञा, विशेषण, क्रिया विशेषण या और कोई समानार्थक शब्द आता है)। 3. आचार्ये संस्थिते संबंध रखना, अधिकार में करना (अधिकर्ता में संवं.)-यन्ममास्ति हरस्व तत्[1], पश्य नास्ति स्वयं प्रज्ञा[2] 4. भागी होना, उदय होना, घटित होना 5. नेतृत्व करना, हो जाना, प्रमाणितं होना (संप्र. के साथ) स स्वाणुः स्थिरभक्तियोगसुलभी निःश्रेयसायास्तु वः[3] 6. पर्याप्त होना (संप्र. के साथ) सा तेषां पावनाथ स्यात्[4], अन्यैर्नृपालैः परिदीयमानं शाकाय वा स्यात् लवणाप या स्वात्-जगन्नाथ 7. ठहरना, बसना, रहना, आवास करना 8. विशेष संबंध रखना, प्रभावित होना (अधि. के साथ) किं नु खलु यथा घयमस्यामेवमिवमप्यस्मान् प्रति स्यात्[5], अस्तु-अच्छा, होने दो, एवमस्तु, तथास्तु ऐसा ही होवे, स्वत्ति, अध्युक्त पूर्ण भूतकालिक क्रिया का रूप बनाने के लिए धातु से पूर्व जोड़ा जाने वाला 'आस' कई बार धातु से पृथक् करके लिखा जाता है-अति समाप्त होना, श्रेष्ठ होना, बढ़-चढ़कर होना, अभि-संबंध रखना, अपने भाग का हिस्सेदार बनना, आवित् निकलना, उभरना, दिखाई देना प्रदुसू-प्रकट होना, ऊपर को उभरना, व्यक्ति (आ. व्यतिरे, व्यतिरी, व्यतिस्ते) बढ़ जाना, बढ़-चढ़ कर होना, श्रेष्ठ पा बढ़िया होना, मात कर देना।


अस् (दिवा. पर.) [अस्यति, अस्त] 1. फेंकना, छोड़ना, जोर से फेंकना, (बन्दूक) दागना, निशाना लगाना, ('निशाना' में अधि.) 2. फेंकना, ले जाना, जाने देना, छोड़ना, छोड़ देना, जैसा कि 'अस्तमान' 'अस्तशोक' और 'अस्तकोप' में, दे. अस्त; अति-, निशाने से परे (तीर गोली आदि) फेंकना, हावी होना; अत्यस्त दूर, परे निशाना लगाकर, बढ़-चढ़ कर, (द्वि.त.स. में जुड़ कर,) अधि-, 1. एक के ऊपर दूसरी वस्तु रखना 2. जोड़ना 3. एक वस्तु की प्रकृति को दूसरी में घटाना,- वाह्यधर्मानात्मन्य-ध्यस्यति-शारी, अप-1. फेंक देना, दूर करना, छोड़ना, त्याग देना, रद्दी में डालना, अस्वीकार करना; अस्वीकृत, निराकृत 2. हांक कर दूर कर देना, तितर-बितर करना, अभि-1. अभ्यास करना, मश्क करना-अभ्यस्यतीव व्रतमासिधारम्[6] 2. किसी कार्य को बार-बार करना, दोहराना-मृगकुलं रोमन्थमभ्यस्तु-[7], 3. अध्ययन करना, सस्वर पढ़ना, पढ़ना 1. उठाना, ऊपर करना, सीधा करना, 2. मुड़ जाना, 3. निकाल देना, बाहर कर देना, उपनि-1. निकट रखना, धरोहर रखना 2. कहना, संकेत करना, सुझाव देना, प्रस्तुत करना[8], 3. सिद्ध करना, 4. किसी की देख-रेख में देना, सुपुर्द करना 5. संविवरण वर्णन करना, नि-1. उपक्रम करना, रखना, नीचे फेंकना 2. एक ओर रखना, छोड़ना, त्यागना, परित्याग करना, तिलांजलि देना-इसी प्रकार -प्राणान् न्यस्यति-3. अन्दर रखना, किसी वस्तु पर रखना (अधि. के साथ)-चित्रन्यस्त-चित्र में उतारा हुआ-लगाया हुआ-4. सौंपना, हवाले करना, देखरेख में रखना-अहमपि तव सूनौ न्यस्तराज्यः[9], 5. देना, प्रदान करना, विरतण करना 6. कहना, सामने रखना, प्रस्तुत करना-पर, निस्-1. निकाल फेंकना, फेंक देना, छोड़ना, छोड़ देना, वापिस मोड़ देना, 2. नष्ट करना, दूर करना, हराना, मारना, मिटाना 3. निकालना, निष्कासन, निर्वासित करना। 4. बाहर फेंकना, (तीर) छोड़ना 5. अस्वीकार करना, (सम्मति आदि का) निराकरण करना 6. ग्रहण लगना, छिप जाना, पृष्ठभूमि में गिर पड़ना परा-छोड़ना, त्यागना, त्याग देना, छोड़ देना 2. निकाल देना 3. अस्वीकार करना, निराकरण करना, प्रत्याख्यान करना-परि-1. चारों ओर फेंकना, सब ओर फैलाना, प्रसार करना 2. फैला देना, घेरना-ताम्रौष्ठपर्यस्तरुचः स्मितस्य[10], 3. मोड़ लेना-पर्यस्त विलोचनेन[11], 4. (आँसू) गिराना, नीचे फेंकना[12] 5. उलट देना, पलट देना, 6. बाहर फेंकना[13] परिनि-,फैलाना, बिछाना, पर्युद-, 1. अस्वीकार करना, निकाल देना, प्र-,फेंकना, फेंक देना, उछाल देना, वि-उछालना, बिखेरना, अलग-अलग फेंकना, फाड़ देना, नष्ट करना[14], 2. खंडों में विभक्त करना, पृथक्पृ-थक् करना, क्रम से रखना-स्वयं वेदान् व्यस्यन्[15]

विव्यास वेदान् यस्मात्स तस्माद् व्यास इति स्मृतः,[16], 3. अगल-अलग लेना, एक-एक करके लेना-तदस्ति किं व्यस्तमपि त्रिलोचने[17], 4. उलट देना, पलट देना 5. निकाल देना, हटा देना-विनि-, 1. रखना, जमा करना, रख देना-विन्यस्यन्ती भुवि गणनया देहलीदत्तपुष्पैः[18], 2. जमा देना, किसी की ओर निर्देश करना-रामे विन्यस्त-मानसाः-रामा. 3. सौंपना, दे देना, सुपुर्द कर देना, किसी के जिम्मे कर देना,-सुतविन्यस्त-पत्नीकः[19], 4. क्रम में रखना, सँवारना, विपरि-, 1. उलट देना, पलट देना, औंधा कर देना, 2. बदलना, परिवर्तन करना[20], 3. भ्रमग्रस्त होना, गलत समझना,-प्रतीकारो व्याधेः सुखमिति विपर्यस्यति जनः[21], 4. परिवर्तित होना (अक.) सम्-1. मिलना, एकत्र करना, मिलाना, जोड़ देना[22], 2. समास में जोड़ देना, समास करना 3. सामुदायिक रूप से ग्रहण करना-समस्तैरथवा पृथक्[23], संयुक्त रूप से या अलग-अलग, संनि-, 1. रखना, सामने लाना, जमा करना, 2. एक ओर रखना, छोड़ना, त्यागना, छोड़ देना-संन्यस्तशस्त्रः[24], संन्यस्ताभरणं गात्रम्[25], 3. दे देना, सौंपना, सुपुर्द करना, हवाले करना [26], 4. (अक. के रूप में प्रयुक्त) संसार को त्यागना, सांसारिक बंधन तथा सब प्रकार की आसक्तियों को त्याग कर विरक्त हो जाना-संदृश्य क्षणभङगुरं तदखिलं धन्यस्तु संन्यस्यति[27][28]


इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. -पंच. 4/76
  2. -5/70
  3. विक्रम. 1/1
  4. -गनु. 11/86
  5. -श. 1
  6. -रघु. 13/67, मा. 9/32
  7. श. 2/6, कु. 2/50
  8. -कि. 2/3
  9. विक्रम. 5/17, भ्रातरि न्यस्य मां-भट्टि. 5/82
  10. -कु. 1/44
  11. -कु. 3/68
  12. -रघुन 10/76, मनुस्मृति 11/183
  13. -रघु. 13/13, 5/49
  14. -भट्टि. 8/116, 9/31
  15. -पंच. 4/50
  16. महा. रघु. 10/85
  17. -कु. 5/72
  18. मेघ. 88, भट्टि. 3/3
  19. याज्ञ. 3/45
  20. -उत्तर. 1
  21. भर्तृ. 3/92
  22. -मनु. 3/85, 7/57
  23. -मनु. 7/198
  24. रघु. 2/59
  25. -मेघ. 93, कु. 7/67
  26. भग. 3/30
  27. भर्तृ. 3/132
  28. संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 135 |

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