अस कहि चलेउ बालिसुत
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अस कहि चलेउ बालिसुत
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कवि | गोस्वामी तुलसीदास |
मूल शीर्षक | रामचरितमानस |
मुख्य पात्र | राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि |
प्रकाशक | गीता प्रेस गोरखपुर |
शैली | सोरठा, चौपाई, छन्द और दोहा |
संबंधित लेख | दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा |
काण्ड | उत्तरकाण्ड |
अस कहि चलेउ बालिसुत फिरि आयउ हनुमंत। |
- भावार्थ
ऐसा कहकर बालिपुत्र अंगद चले, तब हनुमान जी लौट आए और आकर प्रभु से उनका प्रेम वर्णन किया। उसे सुनकर भगवान प्रेममग्न हो गए॥19 (ख)॥
अस कहि चलेउ बालिसुत |
दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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