अहो
अहो (अव्य.) [हा+डी.नञ् तत्पुरुष समास]
1. निम्नांकित अर्थों को प्रकट करने वाला अव्यय-
2. शोक या खेद-अहो दुष्यन्तस्य संशयमारूढ़ाः पिंडभाजः[5], विधिरहो वलवानिति मे मतिः[6]
3. प्रशंसा (शाबास, बहुत खूब)-अहो देवदत्तः पचति शोभनम्[7]
4. झिड़की (धिक्,)
5. बुलाना, संबोधित करना
6. ईर्ष्या, डाह
7. उपभोग, तृप्ति
8. थकावट
9. कई बार केवल अनुपूरक के रूप में-अहो नु खलु (भोः), सामान्य रूप से आश्चर्य जो रोचक हो-अहो नु खलु ईदृशीमवस्थां प्रपन्नोऽस्मि[8], अहो नु खलु भोस्तदेतत्काकतालीयं नाम[9], 'अहो वत' प्रकट करता है (क) दया, तरस तथा खेद। अहो बत महात्पापं कर्त व्यवसिता वयम्[10], (ख) संतोष-अहो वतासि स्पृहणीयवीर्यः[11] (मल्लि. यहाँ 'अहो वत' को संबोधन के रूप में ग्रहण करता है (ग) संबोधित करना, बुलाना (घ) थकावट।
समस्त पद-पुरुषिका-तु. आहोपुरुषिका[12]
इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख