आई.आई.टी. पटना उन आठ भारतीय प्रौद्योगिक संस्थानों में से एक है, जिसे केंद्र ने वर्ष 2008 और 2009 के मध्य स्थापित किया था। आई.आई.टी. का परिसर पटना शहर से 25 किलोमीटर दूर स्थित 'बिहटा' में तैयार है।[1] केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने 'भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आई.आई.टी.) पटना' परिसर की आधारशिला रखी। आई.आई.टी. पटना का परिसर राजधानी पटना से 25 किलोमीटर दूर बिहटा नामक स्थान पर लगभग 500 एकड़ भूमि पर निर्मित किया गया है। भवन निर्माण तक आई.आई.टी. पटना का संचालन 2008 से अस्थाई रूप से पॉलीटेक्नीक परिसर में हो रहा था। [2]
पाठ्यक्रम
आईआईटी, पटना संस्थान में सभी ज़रूरी संसाधन उपलब्ध हैं और इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल और कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई शुरू हो गई है। शिक्षण के लिए आई.आई.टी., गुवाहाटी से आठ प्रोफेसर पटना नियुक्त किये गये हैं। नए स्थापित आठ आई.आई.टी. में आई.आई.टी. पटना पहला संस्थान है जिसने डॉक्टरेट का पाठ्यक्रम भी प्रारम्भ कर दिया है। आई.आई.टी. पटना में कम्प्यूटर विज्ञान, इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग, मैकेनिकल इंजीनियरिंग, भौतिक विज्ञान, रसायन शास्त्र, कला एवं सामाजिक विज्ञान में डॉक्टरेट पाठ्यक्रम संचालित होगा।[3]
छात्र व विभाग
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) पटना में 120 सीटों वाले इस संस्थान में फिलहाल 109 छात्रों का नामांकन किया गया है। आई.आई.टी. पटना के निदेशक प्रो. अनिल के. भौमिक ने बताया कि वर्तमान में संस्थान में 382 छात्र व 55 फैकल्टी मेंबर हैं। इसके सात विभाग है तथा वर्तमान में अभियंत्रण के तीन विषयों में बी.टेक. की पढ़ाई हो रही है। सभी विभागों में पी.एच.डी. कार्यक्रम भी चालू है। संस्थान के सभी विभागों में अत्याधुनिक लेबोरेट्री की सुविधा दी गई है। विज्ञान व तकनीकी क्षेत्र में शोध कार्य चल रहे हैं।[4][5]
छात्रावास
छात्रों के रहने के लिए एक छात्रावास है। और छात्रों को कमरे आवंटित किए जा रहे हैं। पहले शैक्षणिक सत्र में केवल पांच छात्राओं का नामांकन किया गया है, इसलिए छात्राओं की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए, उनके रहने के विशेष प्रबंध किए गए हैं।[6]
संसद में विधेयक
आईआईटी पटना के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) का दर्जा देने के लिए सरकार ने लोकसभा में विधेयक प्रस्तुत किया है। यह विधेयक पास होने से (आई.आई.टी.) प्रौद्योगिकी संस्थान क़ानून के अंतर्गत राष्ट्रीय महत्व के संस्थान के रूप मे घोषित कर देने का प्रावधान है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री डी पुरंदेश्वरी प्रौद्योगिकी संस्थान (संशोधन) विधेयक 2010 सदन मे पेश किया था। विधेयक का उद्देश्य देश में प्रौद्योगिकी संस्थान के विकास और नव प्रौद्योगिक संस्थान स्थापित किये जा चुके है। इसी कारण से वर्तमान क़ानून में संशोधन किया गया है। सरकार द्वारा गठित विशेषज्ञ एक समिति ने आई.आई.टी.बी.एच.यू. सहित अन्य संस्थानों के उन्नयन की सिफारिश की है। समिति की सिफारिश के आधार पर 2008 मे सरकार ने आठ नये आई.आई.टी. संस्थान खोलने की घोषणा की है। ये संस्थान पटना बिहार, मंडी (हिमाचल प्रदेश), रोपड़ (पंजाब), जोधपुर (राजस्थान), गांधीनगर (गुजरात), हैदराबाद (आंध्रप्रदेश), इंदौर (मध्यप्रदेश) और भुवनेश्वर (उड़ीसा) मे खोलने की योजना है।
प्रवेश परीक्षा
आई.आई.टी. प्रवेश परीक्षा मानव संसाधन विकास मंत्रालय की कड़ी निगरानी में देश भर में 16 भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान और अन्य प्रीमियर इंजीनियरिंग संस्थानों में आई.आई.टी. में दाखिले को आयोजित किया जाता है।
भारत के प्रौद्योगिकी संस्थान
- भारत में सोलह प्रौद्योगिकी संस्थान हैं[7] -
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ पूर्व इसरो प्रमुख ने आईआईटी का पद छोड़ा (हिंदी) बी.बी.सी.। अभिगमन तिथि: 1 जुलाई, 2012।
- ↑ सिब्बल ने आईआईटी पटना की आधारशिला रखी (हिंदी) नवभारत टाइम्स। अभिगमन तिथि: 1 जुलाई, 2012।
- ↑ आईआईटी-पटना में जुलाई से डॉक्टरेट पाठ्यक्रम (हिंदी)। । अभिगमन तिथि: 1 जुलाई, 2012।
- ↑ दैनिक जागरण,पटना,15.4.11
- ↑ आईआईटी (पटना) के भवन का बिहटा में 19 को शिलान्यास (हिंदी)। । अभिगमन तिथि: 1 जुलाई, 2012।
- ↑ पटना आईआईटी में पढ़ाई प्रारंभ (हिंदी)। । अभिगमन तिथि: 1 जुलाई, 2012।
- ↑ अन्य भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (हिंदी)। । अभिगमन तिथि: 21 जून, 2012।
बाहरी कड़ियाँ
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