संसद के अधिनियम से गठित, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान की स्थापना वर्ष 1958 में मुंबई के उत्तरी उपनगर, पवई में हुई। आज यह संस्थान भारत के उत्कृष्ट शैक्षिक केन्द्र के रूप में पहचाना जाता है। इन कुछ वर्षों में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई में सभी शैक्षिक एवं अनुसंधान गतिविधियों में बहुयामी प्रगति हुई है। विश्व के श्रेष्ठ संस्थानों से समानता बनाए रखने के लिए सुविधाओं और अवसर और संरचनात्मक सुविधाओं में समानांतर विकास हुआ है। संस्थान समय के साथ उत्कृष्ट विकास की स्थिति में है। इस प्रकार के संस्थान जिस चिंतन और आदर्शों पर बनते हैं, वह विकसित होते रहते हैं और राष्ट्र की आकांक्षाओं, राष्ट्रीय परिदृश्य और विश्वव्यापी प्रवृत्ति के अनुसार बदलते रहते हैं । भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान भी इसी प्रकार का एक संस्थान है।
स्थापना
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुम्बई भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान की श्रृंखला का दूसरा सबसे बड़ा परिसर है। यह महाराष्ट्र राज्य का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय है। आई. आई. टी., मुंबई भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान श्रृंखला का दूसरा संस्थान था, जो यूनेस्को और सोवियत संघ के अनुदान से सन् 1958 में स्थापित किया गया था।
संस्थान का उद्देश्य
इस संस्थान को स्थापित करने का मुख्य उद्देश्य अभियांत्रिकी और प्रौद्योगिकी से सम्बंधित विषयों के लिये योग्य शिक्षकों और पठन पठन की सुविधाओं को उपलब्ध कराना था। शिक्षा प्रणाली के निर्माण के समय ही स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के लिये आवश्यक प्रणाली के विकास को भी ध्यान में रखा गया था।
प्रथम सत्र
इस संस्थान के निर्माण के समय ही 25 जुलाई 1958 को 'सिंथेटिक एंड आर्ट सिल्क मिल्स रिसर्च एसोसिएसन' (SASMIRA) के वर्ली, मुंबई स्थित प्रांगण में ही 100 छात्रों के साथ प्रथम शिक्षण सत्र का प्रारंभ हुआ था। इस सत्र के लिये देश भर से कुल 3,400 आवेदन पत्र प्राप्त हुए थे। इन आवेदनों में से केवल 100 छात्रों को ही रसायन, जनपथ, यांत्रिकी, विद्युत और धातु अभियंत्रण के प्रथम वर्ष स्नातक पाठ्यक्रम में प्रवेश दिया गया था।
भवन निर्माण
संस्थान के भवन निर्माण के लिये प्रयास तेज़ीकिये गये। पंडित जवाहर लाल नेहरु ने 10 मार्च 1959 को, पवई में संस्थान की नींव रखी थी, उस समय बिजली और पानी आपूर्ति के लिये लाइनें बिछाने का कार्य चल रहा था। संस्थान तक पहुँचने के लिये एक सड़क योजना निर्माणाधीन थी। आज, इतने वर्षों के बाद भी भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई विज्ञान, अभियांत्रिकी और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपना अमूल्य योगदान दे रहा है। इस संस्थान ने विश्व स्तर के अभियंता और वैज्ञानिक प्रदान किये हैं। संस्थान से उत्तीर्ण छात्र आज विश्व के कोने-कोने में शिक्षक, तकनीकी विशेषज्ञ, सलाहकार, वैज्ञानिक, स्वरोज़गार, संचालक, प्रबंधक तथा अन्य कई रुपों में अपनी योग्यता सिद्ध कर रहे हैं।
प्रवेश
- आईआईटी, मुंबई के स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश, संयुक्त प्रवेश परीक्षा के माध्यम से किया जाता है जो जे ई ई के रूप में जाना जाता है। *आईआईटी, मुंबई के स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के लिए मुख्य रूप से गेट परीक्षा में उम्मीदवारों के प्रदर्शन को आधार माना जाता है।
- आईआईटी बॉम्बे पी.एच.डी. प्रवेश के लिए, व्यावसायिक कार्य अनुभव भी मायने रखता है।[1]
संस्थान के विभाग
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई में 12 विभाग हैं।
केन्द्र
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई में 11 अन्तरा विषयक केन्द्र हैं।
विद्यालय
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई में 3 विद्यालय हैं। इस संस्थान के विशेष अध्ययन स्कूल भी है, जो हैं- शैलेश जे मेहता स्कूल ऑफ़ मैनेजमेंट, स्कूल ऑफ़ बायो साइंसेज और बायो इंजीनियरिंग, और कंवल रेखी स्कूल ऑफ़ इन्फोर्मेशन टेक्नोलॉजी।[2]
भारत के प्रौद्योगिकी संस्थान
- भारत में सोलह प्रौद्योगिकी संस्थान हैं[3] -
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ आई आई टी - मुम्बई (हिंदी)। । अभिगमन तिथि: 22 जून, 2012।
- ↑ आई आई टी - मुम्बई (हिंदी)। । अभिगमन तिथि: 22 जून, 2012।
- ↑ अन्य भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (हिंदी)। । अभिगमन तिथि: 21 जून, 2012।
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख