भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (बी.एच.यू.) वाराणसी
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान का एक संस्थान 'भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय)' भारत के प्राचीन नगर वाराणसी में स्थित विज्ञान एवं अभियान्त्रिकी में शोध तथा स्नातक शिक्षा के लिए प्रसिद्ध एक शिक्षा संस्थान है। इस संस्थान को 'आई.आई.टी. - बी.एच.यू.' के नाम से भी जाना जाता है।
स्थापना
इस संस्थान की स्थापना सन् 1919 में उत्तर प्रदेश के वाराणसी नगर में हुई। यह संस्थान बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के तत्वावधान में स्थापित एक इंजीनियरिंग संस्थान है। इस संस्थान में 13 विभाग हैं और यह संस्थान तीन अंतर-अनुशासनात्मक स्कूलों में तकनीकी शिक्षा प्रदान करता है। 1919 में स्थापित, यह संस्थान भारत के सबसे पुराने इंजीनियरिंग संस्थानों में से एक है। इसे नियमित रूप से भारत के सबसे अच्छे इंजीनियरिंग कॉलेजों में से एक गिना जाता है।
परिसर
आई.आई.टी. बी.एच.यू. परिसर वाराणसी के दक्षिणी छोर पर लगभग 1,300 एकड़ (5.3 km2) में गंगा नदी के तट पर फैला हुआ है। 1971 में 'बनारस इंजीनियरिंग कॉलेज' (BENCO), 'खनन और धातुकर्म' (MINMET) और 'प्रौद्योगिकी कॉलेज' (TECHNO) के एकीकरण के पश्चात् प्रौद्योगिकी संस्थान, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (आई.टी. बी.एच.यू.) अस्तित्व में आया। प्रौद्योगिकी संस्थान (अधिनियम 2012) के अंतर्गत 30 अप्रैल, 2012 को यह 'भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान' (आई.आई.टी.) में संशोधित किया गया।
प्रवेश
स्नातक छात्रों को प्रवेश प्राप्त करने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा आयोजित 'संयुक्त प्रवेश परीक्षा' के माध्यम से और स्नातककोत्तर के लिए इंजीनियरिंग में 'स्नातक योग्यता टेस्ट' (गेट) के माध्यम से प्रवेश होता है।
संस्थान का इतिहास
इस संस्थान की स्थापना सन् 1919 में पंडित मदन मोहन मालवीय जी के द्वारा की गयी थी।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान
मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा गठित की गयी समितियों ने, जो क्रमश: प्रोफेसर जोशी और आनंद कृष्णन समितियाँ थीं, ने इस संस्थान को 'भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आई.आई.टी.)' में रूपांतरित करने की सिफारिश की, जिसके फलस्वरूप यह संस्थान देश की आई.आई.टी. प्रणाली के साथ एकीकृत हुआ। इस नये संस्थान को आई.आई.टी. बी.एच.यू., वाराणसी कहा गया। प्रौद्योगिकी संस्थान संशोधन विधेयक, 2012 आई.टी.-बी.एच.यू. को आई.आई.टी. (बी.एच.यू. ), वाराणसी घोषित करता है। 24 मार्च, 2011 को लोकसभा ने तथा 30 अप्रैल, 2012 को राज्य सभा ने इस विधेयक को पारित कर दिया।
परास्नातक पाठयक्रम
स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में 'मास्टर ऑफ टैक्नोलॉजी' (एम. टेक) और पीएच.डी. की डिग्री प्रदान की जाती है। एम.टेक. पाठयक्रम के लिए प्रवेश 'अभियान्त्रिकी स्नातक योग्यता टेस्ट' (गेट) के माध्यम से किया जाता है।
स्नातक पाठयक्रम
आई.आई.टी. - बी.एच.यू. में विभिन्न विषयों में चार वर्ष के 'बैचलर ऑफ टैक्नोलॉजी' (बी.टेक.) और 'बैचलर ऑफ फार्मेसी' (B.Pharm) की डिग्री के लिए शिक्षण कार्यक्रम संचालित करता है। पांच साल के कार्यक्रम को एकीकृत दोहरी डिग्री कार्यक्रम और एकीकृत मास्टर डिग्री कार्यक्रम (आई.एम.डी.) में वर्गीकृत किया गया है।
विभाग
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय) वाराणसी में निम्नलिखित शैक्षणिक विभाग है -
अभियान्त्रिकी
- संगणक विज्ञान एवम् अभियान्त्रिकी
- रसायन अभियान्त्रिकी
- सेरामिक अभियान्त्रिकी
- जनपद अभियान्त्रिकी
- विद्युत अभियान्त्रिकी
- इलेक्ट्रानिकी अभियान्त्रिकी
- यांत्रिक अभियान्त्रिकी
- खनन अभियान्त्रिकी
- धातुकर्म अभियान्त्रिकी
विज्ञान
- प्रयुक्त गणित
- प्रयुक्त भौतिकी
- प्रयुक्त रसायन
- भैषजिकी
अंतःविषय विद्यालय
- बायोकेमिकल इंजीनियरिंग
- पदार्थ विज्ञान और प्रौद्योगिकी
- बायोमेडिकल इंजीनियरिंग
भारत के प्रौद्योगिकी संस्थान
- भारत में सोलह प्रौद्योगिकी संस्थान हैं[1] -
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ अन्य भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (हिंदी)। । अभिगमन तिथि: 21 जून, 2012।
बाहरी कड़ियाँ
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