रेड डाटा बुक

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रेड डाटा बुक (अंग्रेज़ी: Red Data Book) में सभी प्रकार के जीवों आदि का रिकॉर्ड रखा जाता है। अन्तरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) एक सूची जारी करता है, जिसे 'रेड डाटा बुक' के नाम से जाना जाता है। सर्वप्रथम 1963 में सर पीटर स्कॉट ने 'अन्तर्राष्ट्रीय रेड डाटा बुक' की कल्पना की थी। रेड डाटा बुक में ऐसे पशु पक्षियों और पौधों के बारे में जानकारी दी गई है, जो विलुप्त (संकटग्रस्त) होने के कगार पर हैं। इनका संकलन 'ज्वाइंट नेचर कंजर्वेशन कमेटी' द्वारा किया जाता है। विश्व में प्रथम प्रकाशन 1964 में किया गया था।

प्रजाति रिकॉर्ड

अन्तरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ का मुख्यालय स्वीट्जरलैंड में है। रेड डाटा बुक में प्रजातियों का रिकॉर्ड रखा जाता है। इसमें तीन प्रकार के पेज का प्रयोग किया जाता है[1]-

  1. हरा पेज - इन प्रजातियों के ऊपर कोई खतरा नहीं रहता है।
  2. गुलाबी पेज - इन प्रजातियों के ऊपर खतरा रहता है।
  3. लाल पेज - इस प्रकार के प्रजाति समाप्त होने वाले होते है या समाप्त हो चुके होते हैं।

विलुप्तप्राय प्राणियों की सूची

विलुप्तप्राय प्राणियों की लिस्ट को 09 वर्गों में विभाजित किया गया है, जो निम्न प्रकार हैं-

  1. विलुप्तप्राय श्रेणी
  2. वन से विलुप्त
  3. अतिसंकटग्रस्त
  4. संकटग्रस्त
  5. संकटापन्न
  6. संकटमुक्त
  7. आँकड़ा पर्याप्त नहीं
  8. अनाकलित
  9. संवेदनशील

कुछ ऐसी प्रजातियाँ जिसका कोई भी सदस्य जीवित न हो तथा विश्व के सभी आवासों में इनकी संख्या न के बराबर हो, तो उसे विलुप्तप्राय श्रेणी के अंतर्गत रखा जाता है, जो निम्न प्रकार हैं[1]-

  1. डायनासोर
  2. डोडो (मारीशस)
  3. ब्लू वक
  4. मैमूथ
  5. तसुनेनियन चीता

इसके अतिरिक्त अतिसंकटग्रस्त की श्रेणी में आने वाले जीव जन्तु की कुछ ऐसी प्रजातियाँ होती हैं, जो पूरी तरह से विलुप्त नहीं होती हैं बल्कि वनों से लुप्त होने की कगार पर पायीं जाती हैं, जिसे संकटग्रस्त की श्रेणी में रखा जाता है। परन्तु यह अपने आवासों से भी विलुप्त के कगार पर हो तो उसे अतिसंकटग्रस्ट की श्रेणी में रखा जाता है।

अन्तरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ के अनुसार, यदि कुछ ऐसी प्रजातियाँ हों जिनकी संख्या 10 वर्षो में 90 प्रतिशत विलुप्त हो गई हो या संख्या की दृष्टि से 250 से कम हो, तो उसे अतिसंकटग्रस्त की श्रेणी में रख दिया जाता है। इसके आलावा एक और मानक के अनुसार 3 वर्षों में 25 प्रतिशत से कम प्रजातियाँ या संख्या की दृष्टि से 50 या 50 से कम संख्या पाए जाने पर उन्हें संकटग्रस्त की श्रेणी में रखा जाता है।

अतिसंकटग्रस्त जीव जन्तु

  1. ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (पक्षी)
  2. हिमालय बटेर
  3. भारतीय चीता

गिद्ध

इसके अलावा गंगाशार्क, घड़ियाल, उड़नगिलहरी, पग्मा हाँक (सूअर), सफेद पेट वाला वगुला, गुलाबी शिर वाला बतख, जेरडान कार्सर पक्षी, सपून साइबेरियन क्रेन आदि।

संकटग्रस्त प्रजातियाँ

  1. लाल पाण्डा
  2. शेर जैसी पूँछ वाला बन्दर
  3. नाचने वाला हिरन
  4. हिम तेंदुआ

क्रान्तिक संकटापन्न

क्रान्तिक संकटापन्न को गुलाबी पेज पर दर्शाया जाता है लेकिन संख्या पर्याप्त मात्रा में होने पर उसे हरे पेज में स्थानांतरित कर दिया जाता है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 रेड डाटा बुक (हिंदी) primaryedudose.com। अभिगमन तिथि: 09 मार्च, 2022।

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