आयत (क़ुरआन)
आयत अरबी भाषा का एक शब्द है जिसका अर्थ 'निशान' होता है। इस्लाम धर्म के धार्मिक ग्रन्थ क़ुरआन की सबसे छोटी ईकाई को आयत कहते हैं। क़ुरआन के हर अध्याय का नाम 'सूरा' होता है और हर सूरे में बहुत सी आयत होती हैं।
क़ुरआन में आयत और सूरा
क़ुरआन में कुल 114 अध्याय हैं जिन्हें सूरा कहते हैं। बहुवचन में इन्हें सूरत कहते हैं। यानि 15वें अध्याय को सूरत 15 कहेंगे। हर अध्याय में कुछ श्लोक हैं जिन्हें आयत कहते हैं। क़ुरआन में कुल 6,233 आयतें (वाक्य) हैं। अरबी वर्णमाला के कुल 30 अक्षर 3,81,278 बार आए हैं। ज़ेर (इ की मात्राएँ) 39,582 बार, ज़बर (अ की मात्राएँ) 53,242 बार, पेश (उ की मात्राएँ) 8,804 बार, मद (दोहरे, तिहरे 'अ' की मात्राएँ) 1771 बार, तशदीद (दोहरे अक्षर के प्रतीक) 1252 बार और नुक़्ते (बिन्दु) 1,05,684 हैं। इसके 114 में से 113 अध्यायों का आरंभ बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम से हुआ है, अर्थात् "शुरू अति कृपाशील, अति दयावान अल्लाह के नाम से।" पठन-पाठन और कंठस्थ में आसानी के लिए पूरे ग्रंथ को 30 भागों में बाँट कर हर भाग का नामांकरण कर दिया गया है। हर भाग 'पारा' (Part) कहलाता है।[1]
प्रकार
दो प्रकार की आयतें होती हैं-
- मुहकम- यह वे आयतें हैं जिनका अर्थ सीधा-साधा है और इनपर कोई बहस नहीं।
- मुतशाबेह - यह वे आयतें हैं जिनके एक से अधिक भिन्न तात्पर्य निकाले जा सकते हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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