उच्छिष्ट गणपति या उच्छिष्ट गणेश तंत्रोक्त गणेश का एक रूप। जूठे मुँह रहनेवाले लोग इनकी पूजा करते हैं। हेरंब संप्रदाय में उच्छिष्ट को शुद्ध गणपति के विरोध में परिगणित किया जाता है और इन्हें मानेवाले लोगों के मत में स्त्री और पुरुष उभय होते हैं। उनके संयोग वियोग में पाप नहीं लगता।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 2 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 56 |