एके-47

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एके-47 राइफ़ल

एके-47 (अंग्रेज़ी: AK-47) एक सोवियत संघातक राइफ़ल है जिसे 'कलैश्निकोव नोडल 1947' भी कहा जाता है। यह कंधे पर लटकाया जाने वाल विश्व का सर्वाधिक प्रचलित शस्त्र है। इसके प्रथमाक्षर 'एके' 'ऑटोमैटिक कैलिश्निकोव' (Automatic Kalashnikov) के प्रतीक हैं। यह स्वचालित कैलिश्निकोव के नाम पर पड़ा। इसमें स्वचालित तथा अर्द्धस्वचालित, दोनों क्षमताएं हैं और यह बंदूक 7.62 एमएम मध्यम (एंटरमीडिएट) शक्ति वाली गोलियां चला सकती है।

विशेषता

एके-47 एक छोटी और सुरूपांकित बंदूक है। इसमें नली के ऊपर ही गैस वापस जाने की एक अलग ट्यूब होती है, एक बड़ी बॉक्स मैगज़ीन, जो 30 चक्र जितनी गोलियां रख सकती है और इसकी फ़ायरिंग दर 600 चक्र प्रति मिनट होती है। यह कई देशों में दो आधारभूत डिज़ाइनों में बनाई जाती है। एक में लकड़ी का हत्था और दूसरी में धातु का फ़ोल्डिंग हत्था होता है। 1980 के वर्षों में एके-47 को एके-एम द्वारा प्रतिस्थापित किया गया, जो इसका आधुनिक संस्करण है और इसमें निशाने की बेहतर क्षमता है। एके-47 राइफ़ल और इसका एके-एम रूपांतरण सभी साम्यवादी सेनाओं तथा विश्व के कई छापामार और राष्ट्रवादी आंदोलनों में कंधे पर लटकाया जाने वाला प्रमुख शस्त्र रहा है। यह सोवियत संघ, बुल्गारिया, चीन, जर्मनी, हंगरी, उत्तरी कोरिया, पोलैंड, रोमानिया तथा यूगोस्लाविया में निर्मित होता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  • पुस्तक- भारत ज्ञानकोश खंड-1 | पृष्ठ संख्या- 252| प्रकाशक- एन्साक्लोपीडिया ब्रिटैनिका, नई दिल्ली

बाहरी कड़ियाँ

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