ऐंग्लो सैक्सन

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ऐंग्लो सैक्सन इंग्लैंड के इतिहास में इस शब्द का उस काल के लिए प्रयोग किया जाता है जो नार्मन आक्रमण के पहले का है। दूसरे शब्दों में, इसका अभिप्राय अल्फ्रेड के राज्यकाल से है। यह शब्द कहाँ से लिया गया है और कैसे लिया गया, यह बताना कठिन है। अटकल लगाई जाती है कि यह शब्द उस समय से प्रचलित हुआ जब सन्‌ 886 में अलफ्ऱेड के नेतृत्व में कई राज्य मिलकर एक राज्य बने, वास्तव में ऐंग्ली और सैक्सन दो अलग अलग सेनाएँ थीं जो नार्मन आक्रमण से पहले ही संयुक्त रूप से बन गई थीं।

ऐंग्लो सैक्सन क्रानीकल चार प्रकार के हैं। इनके हाथ के लिखे कई नुस्खे भी हैं और इनमें मतभेद भी है। फिर भी इनको रूप देनेवाला प्रथम मनुष्य अंग्रेजी है।

ऐंग्लो सैक्सन कानून और स्कैंडीनेविया के कानून को पुराने त्यूतनिक कानून का नमूना कहा जा सकता है। इन दोनों कानूनों में जो भेद हैं वे केवल भाषा के हैं। यूरोप के कानून की भाषा लातानी और इंग्लैंड के कानून की अल्फ्रडे ही है।

ऐंग्लो सैक्सन कानून को तीन बड़े भागों में बाँटा जा सकता है। प्रथम वे कानून जिन्हें जनता ने लागू किए, द्वितीय वे जो परंपरा और रीतिरिवाज द्वारा आए और तृतीय वे जिन्हें लोगों ने स्वयं बनाया। ऐंग्लों सैक्सन कानून में जनाधिकार को विशेष रूप से स्थान प्राप्त था। जायदाद, विरासत, इकरारनामा और स्थायी जुर्माना, प्रत्येक वस्तु जनाधिकार द्वारा निश्चित होती थी। शाही अफसरों को स्थानीय लोक अधिकार का ध्यान रखना पड़ता था। कानून पंचायत में बनाया जाता था और उसी की ओर से लागू होता था। इस अधिकार का अधिवेशन भी होता था और इसे तोड़ा भी जाता था। यह उसी समय होता था जब बादशाह अपने विशेष मत का प्रयोग करता था। इस कानून में परिवर्तन या रियायत उसी समय संभव थी जब दोनों पक्ष उसे स्वीकार करें या गिर्जे की वैसी इच्छा हो।

दूसरी विशेषता इस कानून की थी विश्वशांति। घरेलू अथवा जनकानून तोड़नेवालों को दंड दिया जाता था। एक व्यक्ति के लिए केवल उसका व्यक्तित्व ही कसौटी नहीं था, बल्कि आपसी मेलजोल भी था।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 2 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 264 |

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