कबलकार

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कबलकार विजयनगर साम्राज्य की शासन व्यवस्था में एक उच्च अधिकारी हुआ करता था, जो प्राय: सामाजिक एवं धार्मिक विषयों पर निर्णय देता था। इसे 'अरसुकवलकार' के नाम से भी जाना जाता था।

  • विजयनगर के शासकों ने स्वायत्त ग्राम-प्रशासन की चोल परम्परा को बनाये रखा था, लेकिन वंशागत नायक होने की परम्परा ने उस स्वतंत्रता को सीमित अवश्य कर दिया। प्रान्तों के गवर्नर पहले राजकुमार हुआ करते थे। बाद में साम्राज्य के शासक वंशों और सामंतों में से भी इस पद पर नियुक्तियाँ होने लगीं। प्रान्तीय प्रशासक काफ़ी सीमा तक स्वतंत्र होते थे। वे अपना दरबार लगाते थे। अपने अधिकारी नियुक्त करते थे और अपनी सेना भी रखते थे। वे अपने सिक्के भी चला सकते थे। परन्तु यह अधिकार छोटे सिक्कों के परिचालन तक सीमित था।
  • साम्राज्य में कबलकार नाम का एक अधिकारी भी हुआ करता था, जो प्राय: सामाजिक एवं धार्मिक विषयों पर निर्णय देता था। इसे 'अरसुकवलकार' के नाम से भी जाना जाता था।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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