किताब-उल-हिन्द अरबी भाषा में लिखी गई एक ऐतिहासिक कृति है, जिसकी रचना अलबेरूनी ने की थी। इस पुस्तक की भाषा सरल और स्पष्ट है। यह एक विस्तृत ग्रंथ है, जो धर्म, दर्शन, त्योहारों, खगोल विज्ञान, कीमिया रीति-रिवाजों तथा प्रथाओं, सामाजिक जीवन, भार-तौल तथा मापन विधियों, मूर्तिकला, क़ानून तथा विज्ञान आदि विषयों के आधार पर अस्सी अध्यायों में विभाजित है।
- अलबेरूनी ने इस पुस्तक के प्रत्येक अध्याय में एक विशिष्ट शैली का प्रयोग किया, जिसमें आरंभ में एक प्रश्न होता था फिर संस्कृतवादी परंपराओं पर आधारित वर्णन और अंत में अन्य संस्कृतियों के साथ एक तुलना।
- आज के कुछ विद्वानों का तर्क है कि इस लगभग ज्यामितीय संरचना, जो अपनी स्पष्टता तथा पूर्वानुमेयता के लिए उल्लेखनीय है, का एक मुख्य कारण अलबेरूनी का गणित की ओर झुकाव था।
- अलबेरूनी जिसने लेखन में भी अरबी भाषा का प्रयोग किया था, उसने संभवत: अपनी कृतियाँ उपमहाद्वीप के सीमांत क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए लिखी थीं। वह संस्कृत, पाली तथा प्राकृत ग्रंथों के अरबी भाषा में अनुवादों तथा रूपांतरणों से परिचित था। इनमें दंतकथाओं से लेकर खगोल विज्ञान और चिकित्सा संबंधी कृतियाँ सभी शामिल थीं। पर साथ ही इन ग्रंथों की लेखन-सामग्री शैली के विषय में उसका दृष्टिकोण आलोचनात्मक था और निश्चित रूप से वह उनमें सुधार करना चाहता था।[1]
इन्हें भी देखें: बाबरनामा, अकबरनामा, आइना-ए-अकबरी एवं शाहजहाँनामा
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ किताब-उल-हिन्द (हिन्दी) भारत का इतिहास। अभिगमन तिथि: 20 जुलाई, 2014।