कृमि
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कृमि शब्द प्राय: उन सभी क्षुद्र प्राणियों के लिए प्रयुक्त होता है, जिनका शरीर लंबा एवं बेलनाकार होता है, और जो रेंगकर चलते हैं। कृमि अनेक प्रकार के होते हैं, और सभी की बाह्य रचना भिन्न होती है। इसी कारण इनके वर्गीकरण में कठिनाई होती है। इनके मुख ओर भोजन नली नहीं होती। इनका शरीर खंडो में बँटा होता है। ये वलयी कहलाते हैं।
- चिपटे कृमि के अंतर्गत एक समूह स्वतंत्र प्लैनेरियंस[1] तथा दो पराश्रयी कृमियों, फ्लूक[2] तथा फीताकृमियों[3] का आता है।
- प्लैनेरियंस पोखरी और सरिताओं में पाए जाते हैं। फ्लूक या तो चूसक (suckers) द्वारा मछलियों के गलफड़ों से चिपके होते हैं, या बाह्य पराश्रयी[4] होते हैं, और इनके जीवन इतिहास में केवल एक ही पोषक होता है, अथवा ये अंत: पराश्रयी[5] होते हैं, और यकृत, रक्त तथा फुफ्फुस से चिपके रहते हैं। फीताकृमि बिना बाह्यत्वचा[6] के होते हैं: इनके मुख ओर भोजन नली नहीं होती।[7]
- अधिकांश फीताकृमि पृष्टवंशियों की आँत में पाए जाते हैं। टीनिया सोलिअम[8] सूअर में ओर टीनिया सैजिनाटा[9] अन्य पशुओं एवं मनुष्यों में पाया जाता है। गोल कृमि[10] की आकृति बेलनाकार होती है और ये स्वतंत्र अथवा पराश्रयी होते है, मनुष्यों में पाए जाने वाले पिनवर्म[11] , अंकुश कृमि [12], फाइलेरिया कृमि एवं एलिफैंटाइसिस[13] के कृमि इसके उदाहरण हैं। रोमकृमि[14] प्राय: झरनों में पाए जाते हैं।
- ये किशोरावस्था में पराश्रयी होते हैं, किंतु वयस्क होने पर अपना पोषण स्वयं करते हैं। काँटा सिरधारी[15] कृमि पृष्ठवंशियों की भोजननली में पाए जाते हैं। रिबन कृमि [16] चिपटे, लंबे, दूसरे का आखेट करने वाले हिंस्रजीवी एवं मंदगति होते हैं। खंडित कृमियों[17] अर्थात् केंचुए, नियरीज़[18], जोंक इत्यादि का शरीर खंडो में बँटा होता है। ये वलयी कहलाते हैं।[7]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ Planarians
- ↑ Flukes
- ↑ Tape worms
- ↑ ecteparasites
- ↑ endoparasite
- ↑ epidermis
- ↑ इस तक ऊपर जायें: 7.0 7.1 कृमि (हिन्दी) भारतखोज। अभिगमन तिथि: 30 जुलाई, 2015।
- ↑ Taenia solium
- ↑ Taenia saginata
- ↑ Round worms
- ↑ Pin worm
- ↑ Hook worm
- ↑ Elephantisis
- ↑ Hair worm
- ↑ Spiny heabed
- ↑ Ribbon worm
- ↑ Segmented worm
- ↑ Nereis