केंद्रीय श्रमिक शिक्षा बोर्ड
केंद्रीय श्रमिक शिक्षा बोर्ड
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विवरण | 'केंद्रीय श्रमिक शिक्षा बोर्ड' श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय के अंतर्गत काम करने वाला निकाय है। यह अनुदान सहायता के रूप में पंजीकृत श्रमिक शिक्षा कार्यक्रमों का आयोजन करने हेतु वित्तीय सहायता प्रदान करता है। |
देश | भारत |
शुरुआत | 1958 |
उद्देश्य | देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में श्रमिकों की प्रभावकारी प्रतिभागिता हेतु उनको जागरूक तथा शिक्षित करने के उद्देश्य को प्राप्त करना। |
संबंधित लेख | श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय, भारत सरकार |
अन्य जानकारी | केंद्रीय श्रमिक शिक्षा बोर्ड संगठित, असंगठित तथा ग्रामीण क्षेत्रों के श्रमिकों के लिए 29 प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन राष्ट्रीय, क्षेत्रीय, इकाई एवं ग्रामीण स्तरों पर श्रमिकों के सशक्तीकरण के उद्देश्य से करता है। |
केंद्रीय श्रमिक शिक्षा बोर्ड (अंग्रेज़ी: Central Board For Workers Education or CBWE) भारत सरकार के श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला एक स्वायत्त निकाय है। यह सोसाइटीज पंजीकरण अधिनियम, 1860 के अंतर्गत पंजीकृत है।
परिचय
1958 में भारत में प्रारंभ श्रमिक शिक्षा योजना, संगठित, असंगठित तथा ग्रामीण क्षेत्र के श्रमिकों में वांछित व्यवहारात्मक परिवर्तन लाने के साथ राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। अपनी गतिविधियों को सुचारु रूप से चलाने हेतु बोर्ड श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय से अनुदान सहायता प्राप्त करता है। श्रमिक शिक्षा योजना का उद्देश्य, देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में श्रमिकों की प्रभावकारी प्रतिभागिता हेतु उनको जागरूक तथा शिक्षित करने के उद्देश्य को प्राप्त करना है। इस उद्देश्य को प्राप्त करने हेतु बोर्ड द्वारा औपचारिक एवं अनौपचारिक क्षेत्रों के श्रमिकों के लिए राष्ट्रीय, क्षेत्रीय एवं इकाई स्तर पर पूरे भारत में फैले अपने 50 क्षेत्रीय तथा 9 उपक्षेत्रीय निदेशालयों तथा शीर्षस्थ प्रशिक्षण संस्थान, भारतीय श्रमिक शिक्षा संस्थान, मुंबई द्वारा विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। श्रमिकों के व्यक्तित्व का सौहार्द्रपूर्ण विकास हेतु श्रमिक शिक्षा कौशल एवं समाज में उनकी भूमिका तथा ज्ञान का समावेश किया गया है।
श्रमिक शिक्षा - यह विशेष प्रकार की प्रौढ़ शिक्षा है, जो श्रमिकों को उनके संघ सदस्यों, परिवार के सदस्यों तथा नागरिकों के रूप में उनकी प्रतिष्ठा, हकों तथा उत्तरदायित्वों के प्रति अधिक समझबूझ का विकास कर। श्रमिक शिक्षा विकास तथा समूह समस्याओं पर जोर देती है। यह व्यवसायिक एवं वृत्तिक शिक्षा से परे है, जो कि व्यक्तिगत प्रगति है, जबकि श्रमिक शिक्षा समूह प्रगति पर जोर देती है। शिक्षा का अर्थ केवल साक्षरता नहीं है। बल्कि, प्रत्येक को अपने राष्ट्र, समाज, कार्य स्थल तथा परिवार के प्रति समझबूझ को मजबूत करना है। श्रमिकों का सशक्तीकरण श्रमिक शिक्षा का महत्वपूर्ण भाग है, क्योंकि कोई भी संगठन का कार्य एवं अंतिम परिणाम मुख्य रूप से श्रमिकों पर ही निर्भर है।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना को प्रथमत: भारत सरकार ने मजदूरी रोजगार के रूप में प्रायोजित किया है, जिसका उद्देश्य यह है कि एक वित्तीय वर्ष के दौरान 100 दिनों का सुनिश्चित रोजगार ग्रामीण क्षेत्रों के वैसे सभी वयस्क, अकुशल हस्तगत कार्य करने में इच्छुक स्वयं सेवकों को उपलब्ध कराकर जीविका की सुरक्षा में वृद्धि। इस नयी योजना को बोर्ड ने वर्ष 2011-2012 को लागू किया है। मनरेगा के लाभार्थियों के लिए केंद्रीय श्रमिक शिक्षा बोर्ड ने देश में फैले अपने क्षेत्रीय निदेशालयों द्वारा मनरेगा योजना के लाभों के बारे में ग्रामीण समुदाय को प्रबुद्ध करने के लिए विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया है। इस योजना के अंतर्गत गतिविधियों को कार्यान्वित करने हेतु प्रावधान किया गया है। मंत्रालय ने वित्तीय वर्ष 2011-2012 के लिए 10.00 करोड़ का बजट पूर्व में ही अनुमोदित किया है। साथ ही ग्रामीण श्रमिकों में बड़े पैमाने पर जागरूकता का निर्माण करने हेतु साहित्य इत्यादी का भी प्रकाशन किया जाएगा।
गतिविधियाँ
इस परियोजना के अंतर्गत निम्नलिखित गतिविधियों को आयोजित किया जाता है:-
- ग्राम स्तरीय कार्यक्रम
- खण्ड स्तरीय कार्यक्रम
- ज़िला स्तरीय कार्यक्रम
इस उद्देश्य की पहल हेतु बोर्ड के शिक्षा अधिकारी, क्षेत्रीय निदेशक तथा आंचलिक निदेशक जो पहले से ही इस क्षेत्र में कार्यरत है, श्रमिकों को उनकी जिम्मेदारियां एवं कर्तव्यों के प्रति सजगता हेतु प्रशिक्षण प्रदान करने का उदात्त कार्य कर रहे हैं। इसके लिए 15 जुलाई एवं 16 जुलाई, 2011 को ‘मनरेगा विषय पर प्रशिक्षण’ राष्ट्रीय स्तर पर कार्यशाला का आयोजन किया गया था।
उद्देश्य
- श्रमिकों के सभी वर्गों में, जिनमें ग्रामीण श्रमिक भी शामिल है, देशभक्ति, राष्ट्रीय अखण्डता, एकता, सौहार्द्र, साम्प्रदायिक सहिष्णुता, धर्म निरपेक्षता तथा भारतीय होने के स्वाभिमान की भावना को मजबूत बनाना।
- श्रमिकों के सभी वर्गों को, जिनमें ग्रामीण श्रमिक भी शामिल हैं, राष्ट्र के सामाजिक तथा आर्थिक विकास में उनकी अभिज्ञ सहभागिता के लिए उनके उदघोषित उद्देश्यों के अुनसार तैयार करना।
- श्रमिकों में उनके सामाजिक तथा आर्थिक वातावरण की समस्याओं, परिवार के सदस्यों के प्रति उनके उत्तरदायित्वों और नागरिकों के रूप में, उद्योग में श्रमिक के रूप में, अपने श्रम संघ के सदस्य एवं पदधारी के रूप में उनके अधिकारों और दायित्वों के प्रति अधिक समझबूझ का विकास करना।
- समय-समय पर देश की चुनौतियों का सामना करने हेतु सभी पहलुओं में श्रमिकों की क्षमता का विकास करना।
- अधिक प्रबुद्ध सदस्यों तथा बेहतर प्रशिक्षित अधिकारियों के माध्यम से शक्तिशाली, एकीकृत एवं अधिक जिम्मेदार श्रमिक संघों का विकास करना तथा श्रमिक संघ आंदोलन में प्रजातांत्रिक प्रक्रियाओं और परम्पराओं को मजबूत करना।
- श्रमिकों को संगठन के कर्मचारियों के रूप में अधिकार देना तथा सौहार्द्रपूर्ण औद्योगिक शांति बनाए रखने के लिए प्रभावी माध्यम के रूप में श्रमिकों में अपनत्व की भावना का विकास करना।
- रोजगार प्राप्त करने एवं उसे बनाए रखने के लिए आवश्यक ज्ञान एवं कौशल को हासिल करने एवं सतत् उन्नयन के साधनों तक पहूंचने के लिए श्रमिकों की आवश्यकताओं की पूर्ति करना।
प्रभाव
किसी भी प्रशिक्षण कार्यक्रम का प्रभाव मुख्य रूप से प्रशिक्षण की सफलता पर होता है, उसे ध्यान में नहीं लिया जाता है। चूंकि शिक्षा और प्रशिक्षण, सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन के माध्यम हैं, इन माध्यम की ओर ध्यान देना अनिवार्य है ताकि अन्य लोगों को जीवित रहने हेतु प्रेरित किया जा सके। इसे ध्यान में रखते हुए, क्षेत्रीय निदेशालयों द्वारा विभिन्न क्षेत्रों के श्रमिक वर्गों के लिए आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रमों के प्रभाव को स्थिर रूप से मूल्यांकन किया जाना है।
सेवाएं
केंद्रीय श्रमिक शिक्षा बोर्ड संगठित, असंगठित तथा ग्रामीण क्षेत्रों के श्रमिकों के लिए 29 प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन राष्ट्रीय, क्षेत्रीय, इकाई एवं ग्रामीण स्तरों पर श्रमिकों के सशक्तीकरण के उद्देश्य से करता है। बोर्ड अनुदान सहायता के रूप में पंजीकृत श्रमिक शिक्षा कार्यक्रमों का आयोजन करने हेतु वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
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