संविधान के अनुच्छेद 351 में निहित दिशा निर्देश के अनुसार हिन्दी को अपनी विविध भूमिकाएँ निभाने में समर्थ और सक्रिय बनाने के उद्देश्य से और विविध शैक्षिक, सांस्कृतिक और व्यावहारिक स्तरों पर सुनियोजित अनुसंधान द्वारा शिक्षण-प्रशिक्षण, भाषाविश्लेषण, भाषा का तुलनात्मक अध्ययन तथा शिक्षण सामग्री निर्माण आदि को विकसित करने के लिए शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा सन् 1961 में 'केंद्रीय हिन्दी संस्थान' की स्थापना आगरा में की गई।
प्रारंभ में संस्थान का प्रमुख कार्य अहिन्दी भाषी क्षेत्रों के लिए योग्य, सक्षम एवं प्रभावकारी हिन्दी अध्यापकों को ट्रेनिंग कॉलेज और स्कूली स्तरों पर पढ़ाने के लिए प्रशिक्षित करना था। बाद में हिन्दी के शैक्षिक प्रचार-प्रसार और विकास को ध्यान में रखते हुए संस्थान ने अपने कार्य क्षेत्रों और प्रकार्यों को विस्तृत किया, जिसके अंतर्गत हिन्दी शिक्षण-प्रशिक्षण, हिन्दी भाषा-परक शोध, भाषाविज्ञान तथा तुलनात्मक साहित्य आदि विषयों से संबंधित मूलभूत वैज्ञानिक अनुसंधान कार्यक्रमों को संचालित करना प्रारंभ किया तथा विविध स्तरीय पाठ्यक्रमों, शैक्षिक सामग्री, अध्यापक निर्देशिकाएँ इत्यादि तैयार करने का कार्य भी प्रारंभ किया। इन सब कार्यों से संस्थान का कार्यक्षेत्र अत्यंत विस्तृत हो गया तथा उसे देश में ही नहीं अपितु अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति और मान्यता भी प्राप्त हुई ।
उद्देश्य
विभिन्न उद्देश्यो को पूरा करने के लिये संविधान के अनुच्छेद 351 में मुख्यालय आगरा के विभिन्न विभागों की स्थापना की गई ।
विभाग
- अध्यापक शिक्षा विभाग
- हिन्दी शिक्षण निष्णात
- हिन्दी शिक्षण पारंगत
- हिन्दी शिक्षण प्रवीण
- त्रिवर्षीय हिन्दी शिक्षण डिप्लोमा
- विशेष, गहन हिन्दी शिक्षण-प्रशिक्षण पाठ्यक्रम
- अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी शिक्षण विभाग
- अनुसंधान एवं भाषा विकास विभाग
- पत्राचार विभाग
- नवीकरण एवं भाषा प्रसार विभाग
- सूचना एवं भाषा प्रौद्योगिकी विभाग
- सांध्यकालीन पाठ्यक्रम विभाग
- पूर्वोत्तर सामग्री निर्माण विभाग
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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