कैलास सांखला
कैलास सांखला
| |
पूरा नाम | कैलास सिंह सांखला |
जन्म | 30 जनवरी, 1925 |
जन्म भूमि | जोधपुर, राजस्थान |
मृत्यु | 15 अगस्त, 1994 |
मृत्यु स्थान | ? |
कर्म भूमि | भारत |
मुख्य रचनाएँ | द स्टोरी ऑफ इंडियन टाइगर, टाइगर लैंड, टाइगर, रिटर्न ऑफ़ द टाइगर। |
पुरस्कार-उपाधि | पद्म श्री, 1992 जवाहर लाल नेहरू फैलोशिप पुरस्कार, 1969 |
प्रसिद्धि | भारतीय प्रकृतिवादी और संरक्षणवादी |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | सन 1969 में बाघ के अध्ययन के लिए 'जवाहर लाल नेहरू फैलोशिप पुरस्कार' प्राप्त करने वाले कैलास सांखला पहले सिविल सेवक थे। |
कैलास सिंह सांखला (अंग्रेज़ी: Kailash Singh Sankhala, जन्म- 30 जनवरी, 1925; मृत्यु- 15 अगस्त, 1994) प्रसिद्ध भारतीय प्रकृतिवादी और संरक्षणवादी थे। वह दिल्ली जूलॉजिकल पार्क के निदेशक और राजस्थान के चीफ वन्यजीव वार्डन थे। कैलास सांखला बाघों के संरक्षण के लिए काफी लोकप्रिय हुए। उन्हें भारत का टाइगर मैन के रूप में जाना जाता था। सन 1973 में भारत में स्थापित बाघ संरक्षण कार्यक्रम 'प्रोजेक्ट टाइगर' के गठन में भी वह शामिल थे। कैलास सांखला ने बाघों के संरक्षण को आवाज उठाई थी। ऐसा करने वाले 1956 में वे पहले व्यक्ति थे।
परिचय
कैलाश सांखला का जन्म 30 जनवरी, 1925 को राजस्थान के जोधपुर में हुआ था। सन 1953 में वे वन सेवा में आए। उन्होंने सरिस्का, रणथंभौर, भरतपुर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी का प्रबंधन किया। वे राजस्थान के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन भी रहे। बेहतर कार्य के लिए उन्हें 1965 में राजस्थान सरकार की ओर से मेरिट अवार्ड दिया गया। इसी साल उन्हें बतौर डायरेक्टर 'दिल्ली जूलाजिकल पार्क' का जिम्मा मिला। यहीं रहते हुए कैलाश सांखला में वन्य जीव प्रबंधन को लेकर एक अलग दृष्टि विकसित हुई।[1]
प्रोजेक्ट टाइगर
सन 1970 में बाघों पर रिसर्च और अध्ययन के लिए कैलाश सांखला को 'जवाहर लाल नेहरू फेलोशिप' मिली। ये फैलोशिप हासिल करने वाले वे देश के पहले नौकरशाह थे। ये वो दौर था, जब तस्करी और शिकार की वजह से बाघों की संख्या निरंतर कम हो रही थी। कैलाश सांखला ने इनके संरक्षण के लिए कई सिफारिशें दीं। सन 1973 में 'प्रोजेक्ट टाइगर' शुरू हुआ तो कैलाश सांखला इसके पहले डायरेक्टर बनाए गए।
टाइगर ट्रस्ट
कैलाश सांखला ने बाघ संरक्षण के लिए 1989 में 'टाइगर ट्रस्ट' की भी नींव रखी। टाइगर कंजरवेशन में उनके काम को देखते हुए भारत सरकार ने 1992 में इन्हें पद्म श्री से भी नवाजा।
लेखन
काम के दौरान अपने अनुभव के आधार पर कैलाश सांखला ने कुछ किताबें भी लिखीं-
- 'द स्टोरी ऑफ इंडियन टाइगर'
- 'टाइगर लैंड'
- 'टाइगर'
- 'रिटर्न ऑफ़ द टाइगर'
पुरस्कार व सम्मान
- सन 1969 में बाघ के अध्ययन के लिए 'जवाहर लाल नेहरू फैलोशिप पुरस्कार' प्राप्त करने वाले कैलास सांखला पहले सिविल सेवक थे।
- सन 1965 में राजस्थान सरकार ने वन्यजीव संरक्षण में उत्कृष्ट योगदान के लिए सांखला को 'मेरिट पुरस्कार' दिया।
- साल 1982 में उन्हें शेर पर अपनी पुस्तक के लिए एक मेरिट पुरस्कार मिला।
- कैलास सांखला को 1992 में देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत के राष्ट्रपति द्वारा पद्म श्री से सम्मानित किया गया।
- पर्यावरण और वन मंत्रालय ने संरक्षण प्रयासों के लिए 'कैलाश सांखला फैलोशिप पुरस्कार' की भी स्थापना की है।[2]
मृत्यु
कैलास सांखला ने 15 अगस्त, 1994 को अंतिम सांस ली।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ कैलाश सांखला को क्यों पुकारा गया The tiger man of india? (हिंदी) khaskhabar24.com। अभिगमन तिथि: 07 मार्च, 2022।
- ↑ कैलाश सांखला पुरस्कार किसके लिये दिया जाता है? (हिंदी) hi.quora.com। अभिगमन तिथि: 07 मार्च, 2022।