गुरु नानक जयंती
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विवरण | गुरु नानक जयंती को प्रकाश उत्सव के रूप में भी जाना जाता है। यह सिक्खों के पहले गुरु, गुरु नानक देव के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। |
अन्य नाम | गुरुपर्व, प्रकाश उत्सव |
देश | भारत |
क्षेत्र | पंजाब (सम्पूर्ण भारत में सिक्ख समुदाय द्वारा मनाया जाता है) |
तिथि | कार्तिक पूर्णिमा |
2022 | 8 नवंबर (मंगलवार) |
2023 | 27 नवंबर (सोमवार) |
2024 | 15 नवंबर (शुक्रवार) |
2025 | 5 नवंबर (बुधवार) |
2026 | 24 नवंबर (मंगलवार) |
अन्य जानकारी | गुरु नानक जयंती शुरू होने से पहले मुख्य सिक्ख क्षेत्रों में केंद्रीय स्थानों पर लगातार पाठ किया जाता है; जिसे अखंड पाठ के रूप में जाना जाता है। यह कार्यक्रम 48 घंटे तक चलता है। |
अद्यतन | 11:01, 27 नवम्बर 2023 (IST)
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गुरु नानक जयंती (अंग्रेज़ी: Guru Nanak Jayanti) सिक्ख धर्म के लिए एक बड़ा त्योहार है। कार्तिक मास की अमावस्या को दिवाली मनाई जाती है और उसके पंद्रह दिनों बाद यानी कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन 'गुरु नानक जयंती' को मनाया जाता है। ये पर्व भी दीपावली की तरह से मनाया जाता है। इस पर्व की लोग महीनों पहले से तैयारी शुरू कर देते हैं। गुरु नानक जयंती पर ढोल-मंजीरों के साथ प्रभात फेरियां निकाली जाती हैं। गुरु नानक जयंती को प्रकाश पर्व भी कहते हैं। यही कारण है कि गुरु नानक देव की जयंती के मौके पर चारों ओर दीप जलाकर रोशनी की जाती है। इस खास दिन को गुरु नानक देव के जन्म की खुशी में मनाया जाता है।
इतिहास
गुरु नानक देव सिक्ख धर्म के पहले गुरु थे। उनका जन्म 1469 ई. को हुआ था। नानक जी का जन्म 1469 में कार्तिक पूर्णिमा को पंजाब (अब पाकिस्तान) क्षेत्र में रावी नदी के किनारे स्थित तलवंडी नामक गांव में हुआ। हालांकि अब गुरु नानक जी का ये जन्म स्थल पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में मौजूद ननकाना साहिब में है। इस जगह का नाम नानक देव के नाम से जाना जाता है। यहां देश विदेश से लोग चर्चित गुरुद्वारा ननकाना साहिब के दर्शन के लिए आते हैं। कहते हैं कि सिक्ख साम्राज्य के राजा महाराजा रणजीत सिंह ने यह गुरुद्वारा ‘ननकाना साहिब’ बनवाया था।
कौन थे गुरु नानक
गुरु नानक देव ने मूर्ति पूजा को निरर्थक माना और हमेशा ही रूढ़ियों और कुसंस्कारों के विरोध में रहे। कहा जाता है कि गुरु नानक जी ने ही सिक्ख समाज की नींव रखी थी। सिक्ख समुदाय के गुरु नानक देव जी पहले गुरु थे। इस कारण से ही उनकी विशेष रूप से पूजा अर्चना की जाती है। गुरु नानक देव को उनके भक्त नानक देव, बाबा नानक और नानकशाह के नाम से पुकारते हैं। इतना ही नहीं, कहा जाता है कि लद्दाख और तिब्बत क्षेत्र में 'नानक लामा' भी कहा जाता है। नानक जी की मृत्यु 22 सितंबर, 1539 ईस्वी को हुई। उन्होंने अपनी मृत्यु से पहले अपने शिष्य भाई लहना को अपना उत्तराधिकारी बनाया, जो बाद में गुरु अंगद देव नाम से जाने गए।
जीवन और सिद्धांत
इस बात को अच्छी तरह से समझने के लिए कि यह उत्सव कई भारतीयों लोगों के लिए इतना पवित्र क्यों है, इस बात को समझना बहुत आवश्यक है कि नानक जी के कार्यों ने भारत के संपूर्ण इतिहास को कैसे आकार दिया। सन 1469 में गुरु नानक के जन्म से पहले भारत को मूल रूप से जाति प्रथा के रूप में जानी जाने वाली सामाजिक श्रेणी द्वारा परिभाषित किया जाता था। इस प्रथा की वजह से गरीब लोग गरीब ही रहते थे और अमीर लोग निरंतर रूप से अपनी शक्ति को विस्तारित करते थे। गुरु नानक जी ने यह समझ लिया था कि यह प्रथा गलत है, इसलिए उन्होंने इससे लड़ने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।
अत्यधिक ध्यान और आत्म-चिंतन के बाद गुरु नानक को एक स्वप्न आया जिसने उन्हें परमात्मा का सच्चा उद्देश्य दिखाया। इस स्वप्न के अनुसार, परमात्मा से जुड़ने के लिए औपचारिक संस्थान और जाति प्रथा आवश्यक नहीं है। गुरु नानक के स्वप्न का मूलभूत पहलू यह था कि सभी मनुष्यों का परमात्मा से सीधा संपर्क है। इसके बाद गुरु नानक देव ने पुजारियों और जाति प्रथा को अस्वीकार कर दिया। गुरु नानक ने हिन्दू धर्म के पवित्र ग्रंथ, वेदों का ज्ञान लेने से भी मना कर दिया।
सबसे पहले, गुरु नानक को विधर्मी के रूप में माना गया जिसने परमात्मा को अस्वीकार किया था। इस स्थिति में तब परिवर्तन हुआ जब दलितों और निम्न वर्ग के लोगों को यह अनुभव हुआ कि गुरु नानक के सिद्धांत के अंतर्गत उनका जीवन ज्यादा बेहतर हो सकता है। इसके बाद जल्दी ही गुरु नानक को कई लोगों के द्वारा एक नायक के रूप में देखा जाने लगा। गुरु नानक ने अपने अनुयायियों को यह शिक्षा भी दी कि उपवास और तीर्थस्थलों जैसे पारंपरिक साधनों के माध्यम से परमेश्वर से नहीं जुड़ा जा सकता है। उन्होंने अपने अनुयायियों को नैतिक जीवन का आनंद उठाते हुए प्रार्थना के माध्यम से परमात्मा से जुड़ने की सलाह दी। जाति प्रथा को नष्ट करने के बाद गुरु नानक पुजारियों और मुग़ल शासकों के राजनैतिक शत्रु बन गए। मुग़ल राजा बाबर को चुनौती देने के कारण गुरु नानक को बंदी बना लिया गया। गुरु नानक ने सिक्ख धर्म की स्थापना की। उनकी मृत्यु के पश्चात गुरु नानक की बुद्धिमता और भावना नौ सिक्ख गुरुओं को मिली।[1]
गुरुजी की 10 शिक्षाएं
- परम-पिता परमेश्वर एक है।
- हमेशा एक ईश्वर की साधना में मन लगाओ।
- दुनिया की हर जगह और हर प्राणी में ईश्वर मौजूद हैं।
- ईश्वर की भक्ति में लीन लोगों को किसी का डर नहीं सताता।
- ईमानदारी और मेहनत से पेट भरना चाहिए।
- बुरा कार्य करने के बारे में न सोचें और न ही किसी को सतायें।
- हमेशा खुश रहना चाहिए, ईश्वर से सदा अपने लिए क्षमा याचना करें।
- मेहनत और ईमानदारी की कमाई में से जरूरत मंद की सहायता करें।
- सभी को समान नज़रिए से देखें, स्त्री-पुरुष समान हैं।
- भोजन शरीर को जीवित रखने के लिए आवश्यक है। परंतु लोभ-लालच के लिए संग्रह करने की आदत बुरी है।
उत्सव की गतिविधियाँ
गुरु नानक देव के जीवन और शिक्षाओं को याद करने के लिए सिक्ख और अन्य भारतीय कई गतिविधियों में हिस्सा लेते हैं।[1]
अखंड पाठ
गुरु नानक जयंती शुरू होने से पहले, मुख्य सिक्ख क्षेत्रों में केंद्रीय स्थानों पर लगातार पाठ किया जाता है। जिसे अखंड पाठ के रूप में जाना जाता है, यह कार्यक्रम 48 घंटे तक चलता है। अखंड पाठ के दौरान, सिक्ख धर्म की पवित्र पुस्तक गुरु ग्रंथ साहिब की कुछ सबसे महत्वपूर्ण कविताओं का पाठ किया जाता है। कई बार, सिक्ख लोग प्रार्थना का जाप भी करते हैं। इस उत्सव के लिए सबसे लोकप्रिय प्रार्थनाएं जपजी साहिब और सिद्ध गोश है।
नगर कीर्तन
उत्सव से एक दिन पहले, सिक्ख समुदाय के लोग नगर कीर्तन में हिस्सा लेते हैं, जो एक जीवंत जुलूस है जो दुनिया भर के लोगों को आकर्षित करता है। यह जुलूस पांच लोगों और एक सिक्ख झंडे के साथ निकाला जाता है। इस जुलूस में गीतकार, कोरियोग्राफर और मार्शल आर्टिस्ट भी शामिल होते हैं। जिन मार्गों पर यह कार्यक्रम होता है उन्हें अक्सर विभिन्न बैनरों और फूलों से सजाया जाता है।
लंगर
कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन गुरु नानक जयंती मनाने वाले लोग अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ मुफ्त सामुदायिक भोजन का आनंद उठा सकते हैं। भोजन के बाद, सिक्ख शाम की प्रार्थनाओं में शामिल होते हैं। गुरु नानक जयंती एक शांतिपूर्ण उत्सव है जो लोगों को गुरु नानक और भारतीय जाति प्रथा को समाप्त करने की उनकी इच्छा की याद दिलाता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 गुरु नानक जयंती (हिंदी) publicholidays.in। अभिगमन तिथि: 30 जुलाई, 2022।
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