गोकुलभाई भट्ट
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पूरा नाम | गोकुलभाई दौलतराम भट्ट |
जन्म | 19 फ़रवरी, 1898 |
जन्म भूमि | सिरोही, राजस्थान |
मृत्यु | 6 अक्टूबर, 1986 |
कर्म भूमि | भारत |
पुरस्कार-उपाधि | 'पद्मभूषण' (1971) |
प्रसिद्धि | स्वतंत्रता सेनानी तथा समाज सेवक |
नागरिकता | भारतीय |
संबंधित लेख | राजस्थान, राजस्थान का इतिहास, राजस्थान के मुख्यमंत्री |
विशेष | गोकुल भाई भट्ट को 'राजस्थान का गाँधी' कहा जाता है। उन्होंने जल संरक्षण पर काफ़ी बल दिया था और लोगों को इसके प्रति जागरुक भी किया। |
अन्य जानकारी | 1947 में जब सिरोही रियासत की प्रथम लोकप्रिय सरकार बनी तो उसके प्रधानमंत्री गोकुलभाई भट्ट ही बने। |
गोकुलभाई भट्ट (अंग्रेज़ी: Gokulbhai Bhatt ; जन्म- 19 फ़रवरी, 1898, सिरोही, राजस्थान; मृत्यु- 6 अक्टूबर, 1986) भारत के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे। इन्हें एक सच्चे समाज सेवक के रूप में भी जाना जाता था। इसके साथ ही वे एक कुशल वक्ता, कवि, पत्रकार, बहुभाषाविद और लेखक भी थे। इनका पूरा नाम गोकुलभाई दौलतराम भट्ट था। वर्ष 1939 में गोकुलभाई की प्रेरणा से ही लोग झण्डे वाली टोपियाँ पहनने लगे थे। गोकुलभाई भट्ट 1948 में जयपुर कांग्रेस की स्वागत समिति के अध्यक्ष रहे थे।
जन्म तथा शिक्षा
राजस्थान की देशी रियासतों में राष्ट्रीय चेतना फैलाने वाले गोकुलभाई भट्ट का जन्म 19 फ़रवरी, 1898 ई. में राजस्थान के सिरोही ज़िले में हुआ था। बाद के समय में उनका परिवार मुम्बई चला आया और इस प्रकार गोकुलभाई भट्ट ने मुम्बई से ही अपनी प्रारम्भिक शिक्षा ग्रहण करना प्रारम्भ किया।
समाज सेवा
गोकुलभाई भट्ट अभी शिक्षा प्राप्त कर ही रहे थे, तभी महात्मा गाँधी द्वारा 'असहयोग आन्दोलन' आरंभ किया गया। ऐसे समय में गोकुलभाई भट्ट ने स्कूल छोड़ दिया और समाज सेवा के कार्य में जुट गये। उनका लगभग 50 वर्ष की सेवा का जीवन बहुत घटनापूर्ण रहा था। आरंभ में गोकुलभाई भट्ट मुम्बई में ही समाज सेवा का कार्य करते रहे। बाद में अपने मूल स्थान सिरोही आकर लोगों को देशी रियासत के अन्दर लोकतांत्रिक अधिकार दिलाने के संघर्ष में जुट गये।
'सिरोही प्रज्ञा मण्डल' की स्थापना
कांग्रेस ने अपने 1938 के 'हरिपुरा अधिवेशन' में देशी रियासतों के अन्दर के लोगों को संगठित करने का निश्चय किया था। इसके बाद ही गोकुलभाई ने अपनी अध्यक्षता में 'सिरोही प्रज्ञा मण्डल' की स्थापना की। उन्होंने लोगों को राजा द्वारा किए जा रहे शोषण के विरुद्ध संगठित किया। इस पर उन्हें 1939 में गिरफ़्तार भी कर लिया गया था। जब राजा ने झण्डे पर प्रतिबन्ध लगाया तो गोकुलभाई की प्रेरणा से लोग झण्डे वाली टोपियां पहनने लगे। अब उनका कार्य क्षेत्र पूरा राजस्थान बन गया था। वे 'राजस्थान लोक परिषद' के अध्यक्ष चुने गये थे।
प्रधानमंत्री का पद
1947 में जब सिरोही रियासत की प्रथम लोकप्रिय सरकार बनी तो उसके प्रधानमंत्री गोकुलभाई भट्ट ही बने। 'राजस्थान प्रदेश कांग्रेस' का अध्यक्ष और 'कांग्रेस कार्य समिति' का सदस्य बनने का भी सम्मान उन्हें मिला। 1948 की जयपुर कांग्रेस की स्वागत समिति के अध्यक्ष भी वही थे। सरदार पटेल जिस समय राजस्थान की रियासतों के एकीकरण की वार्ता चला रहे थे, उसमें गोकुलभाई भट्ट जनता के प्रतिनिधि के रूप में बराबर भाग लेते रहे।
अन्य विशेषतायें
राजनैतिक कार्यकर्ता के अतिरिक्त गोकुलभाई भट्ट में और भी कई विशेषतायें थीं-
- वे कुशल वक्ता, कवि, पत्रकार, बहुभाषाविद और लेखक थे।
- उन्हें मराठी, गुजराती, हिन्दी, बंगाली, सिन्धी और अंग्रेज़ी भाषा का कुशल ज्ञान था।
- गोकुलभाई भट्ट ने गुजराती, मराठी में अन्य भाषाओं के ग्रंथों का अनुवाद भी किया था।
- वे सामाजिक दृष्टि से ऊंच-नीच में विश्वास नहीं करते थे और महिलाओं की समानता के पक्षधर थे।
'पद्मभूषण' सम्मान
गोकुलभाई भट्ट ने अपने विविध गुणों से सम्पूर्ण राजस्थान के एकीकरण में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था। वर्ष 1971 में उन्हें 'पद्मभूषण' से सम्मानित किया गया था।
निधन
गोकुलभाई भट्ट का निधन 6 अक्टूबर, 1986 को हुआ। उन्हें 'राजस्थान का गाँधी' कहा जाता था। उन्होंने जल संरक्षण पर काफ़ी बल दिया और लोगों को इसके प्रति जागरुक भी किया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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