गोविंदा नंद सिंध प्रांत के जानेमाने नेता थे, जिनका राष्ट्रीय आंदोलन में योगदान बहुत ही महत्वपूर्ण रहा। वे एक संयासी थे, किन्तु देश के प्रति प्रेम उन्हें राजनीति में खींच लाया था।
- पहले गोविंदा नंद कांग्रेस से जुड़े, सिंध में 1920-1921 में असहयोग आंदोलन के संचालन में इनका योगदान महत्वपूर्ण था।
- मई, 1921 में राज्द्रोह के अभियोग में गोविंदा नंद को 5 वर्ष की कारावास की सजा सुनायी गयी थी।
- बाद के समय में गोविंदा नंद कांग्रेस की रूढ़िवादिता के गरमपंथी आलोचक बन गये, किंतु उससे जुड़े रहे।
- गोविंदा नंद ने सिंध में सविनय अवज्ञा आंदोलन का भी सफलतापूर्वक संचालन किया तथा वह भी ऐसी परिस्थिति मे, जबकि सिंध की मुस्लिम आबादी, जो वहाँ की कुल आबादी का 90 प्रतिशत थी, इससे अलग रही।
- 16 अप्रैल, 1930 को नमक सत्याग्रहियों के मुकदमे को लेकर गोविंदा नंद के नेतृत्व में सत्याग्रहियों ने प्रदर्शन किया तथा पुलिस व जनता में मुठभेड़ें भी हुईं। गोविंदा नंद को पुनः गिरफ्तार किया गया। इसके बाद भी वे राष्ट्रीय आंदोलन में सक्रिय रूप से जुड़े रहे।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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