चामुण्डराय
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चामुण्डराय | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- चामुण्डराय (बहुविकल्पी) |
चामुण्डराय श्रवणबेलगोला के गंग वंशीय शासक राजमल्ल के शासन काल में उसका मंत्री था। प्रसिद्ध गोमतेश्वर की विशाल प्रतिमा का निर्माण चामुण्डराय ने ही लगभग 989 ई. में करवाया था। यह प्रतिमा विंद्यागिरी नामक पहाड़ी से भी दिखाई देती है।
- चामुण्डराय का एक नाम 'गोमट्ट' भी था। इसी कारण श्रवणबेलगोला पर इनके द्वारा स्थापित विशालकाय भगवान बाहुबली की प्रतिमा का नाम 'गोमटेश्वर' (गोमतेश्वर) पड़ गया।
- श्रवणबेलगोला की एक छोटी पहाड़ी की चोटी पर स्थापित यह प्रतिमा 56 फुट से भी अधिक ऊँची है। यह कठोरतम प्रकार के एक ही पाषाण खण्ड द्वारा निर्मित है।
- गोमतेश्वर की मूर्ति में शाक्ति तथा साधुत्व और बल तथा औदार्य की उदात्त भावनाओं का अपूर्व प्रदर्शन हुआ है। साहसपूर्ण कल्पना तथा कार्य सम्पादन की कठिनाइयों के विचार से इसके जोड़ की दूसरी नक़्क़ाशी सम्भवतः दुनिया में दूसरी नहीं है।
- आचार्य नेमिचन्द्र सिद्धान्त चक्रवर्ती द्वारा रचित 'सिद्धान्त ग्रन्थ' का नाम भी गोमट्ट के नाम पर ही 'गोमट्टसार' पड़ गया।[1]
- चामुण्डराय गंग वंश के राजा राजमल्ल के प्रसिद्ध मंत्री होने के साथ ही एक महान् योद्धा भी थे।
- आचार्य अजितसेन के प्रिय शिष्यों में से चामुण्डराय एक थे। ये बड़े सिद्धान्तवेत्ता थे और बाद के समय में आचार्य नेमिचन्द्र के भी शिष्य रहे। इन्हीं के निमित्त 'गोमट्टासार' ग्रन्थ की रचना हुई थी।
इन्हें भी देखें: गंग वंश
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ गो.क./मू./967-971; जै./1/389), ती./4/27