थॉमस ग्रे
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पूरा नाम | थॉमस ग्रे |
जन्म | 26 दिसम्बर, 1716 ई. |
जन्म भूमि | कोमहिल, इंग्लैण्ड |
मृत्यु | 30 जुलाई, 1771 ई. |
मृत्यु स्थान | कैम्ब्रिज, इंग्लैण्ड |
अभिभावक | फ़िलिप ग्रे तथा डोरोथी ग्रे |
कर्म भूमि | इंग्लैण्ड |
कर्म-क्षेत्र | कविता लेखन |
मुख्य रचनाएँ | 'एलेजी रिटेन इन एकंट्री चर्चयार्ड' |
भाषा | अंग्रेज़ी |
प्रसिद्धि | कवि |
अन्य जानकारी | थॉमस ग्रे ने अपने युग के कई अन्य कवियों के साथ प्रकृति वर्णन को फिर से प्रतिष्ठित किया। इनकी प्रकृति संबंधी कविताओं की एक विशेषता यह है कि सभी वर्णित दृश्य यथार्थ का आभास देते हैं। कोरी कल्पना का सहारा कहीं भी नहीं लिया गया है। |
इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
थॉमस ग्रे (अंग्रेज़ी: Thomas Gray ; जन्म- 26 दिसम्बर, 1716 ई., कोमहिल, इंग्लैण्ड; मृत्यु- 30 जुलाई, 1771 ई., कैम्ब्रिज, इंग्लैण्ड) 18वीं शताब्दी के प्रसिद्ध अंग्रेज़ी कवियों में से एक थे, जिन्होंने पोप और उनकी क्लासिकी परम्परा के विरुद्ध कविता के क्षेत्र में रोमांटिक तत्त्व को सबसे पहले महत्त्व दिया। थॉमस ग्रे अत्यधिक अध्ययशील तथा विद्वान् कवि थे। अपना अधिकांश समय पढ़ने में ही लगाने के कारण वे अधिक नहीं लिख सके। लेकिन फिर भी उन्होंने जो कुछ भी लिखा है, वह कला की दृष्टि से उत्कृष्ट है।
जन्म तथा शिक्षा
थॉमस ग्रे का जन्म 26 दिसम्बर, 1716 ई. में इंग्लैण्ड के कोमहिल नामक स्थान पर हुआ था। इनके पिता का नाम फ़िलिप ग्रे तथा माता का नाम डोरोथी ग्रे था। ईटन में प्रांरभिक शिक्षा समाप्त करने के बाद थॉमस ग्रे कैम्ब्रिज आ गए और वहाँ क़ानून का अध्ययन किया। लेकिन उन्होंने एकनिष्ठ भाव से साहित्य की सेवा का निश्चय कर लिया था और अपने मित्र होरेस वालपोल के साथ सन 1739 से 1741 तक फ़्राँस, इटली, वेल्स और स्काटलैंड की यात्रा की।
प्रसिद्ध कविता
थॉमस ग्रे की अधिकांश कविताएँ मृत्यु से 20 साल पहले ही लिखी जा चुकी थीं। उनकी सर्वाधिक प्रसिद्ध कविता 'एलेजी रिटेन इन एकंट्री चर्चयार्ड' सन 1747 में लिखी गई थी, इसका प्रकाशन तीन साल बाद, सन 1750 में हुआ। 1757 में थॉमस ग्रे को लारिएटिशिप मिली थी, जिसे इन्होंने अस्वीकार कर दिया। सन 1768 में ये कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में इतिहास के प्रोफेसर हुए।[1]
भाव और भाषा
थॉमस ग्रे अध्ययनशील और विद्वान् कवि थे। अधिकांश समय पढ़ने में ही लगाने के कारण ये अधिक नहीं लिख पाए। लेकिन जो कुछ भी इन्होंने लिखा, वह कला की दृष्टि से उत्कृष्ट है। इनकी कविता में भाव और भाषा दोनों की चुस्ती है। जो शब्द जहाँ है, वह वहाँ के लिए अनिवार्य प्रतीत होता है। ऐसा ज्ञात होता है कि कवि ने शब्दों का चयन बड़े ध्यान से किया है। ऐसी रचनाओं में किसी न किसी अंश में कृत्रिमता का दोष आना स्वाभाविक है, लेकिन थॉमस ग्रे की कविताओं में भावों की सच्ची अभिव्यक्ति है।
प्रकृति वर्णन की प्रतिष्ठापना
अलेक्जंडर पोप तथा क्लासिकी परंपरा के अन्य कवियों का ध्यान पूर्णतया नगरों के जीवन पर ही केंद्रीभूत था। शहर के सभ्य और सुसंस्कृत वातावरण में रहने वाले स्त्री-पुरुषों के कार्यकलापों तक ही कविता का क्षेत्र सीमित रह गया था। प्रकृति के लिये वहाँ कोई स्थान नहीं था। ग्रामीण जीवन को ये कवि हेय दृष्टि से देखते थे। नदी, पर्वत, जंगल आदि सौंदर्य का नहीं, बल्कि भय का भाव उत्पन्न करते थे। अंग्रेज़ी की कविता में इस प्रवृत्ति के विरुद्ध आवाज उठने लगी थी और थॉमस ग्रे ने अपने युग के कई अन्य कवियों के साथ प्रकृति वर्णन को फिर से प्रतिष्ठित किया। इनकी प्रकृति संबंधी कविताओं की एक विशेषता यह है कि सभी वर्णित दृश्य यथार्थ का आभास देते हैं। कोरी कल्पना का सहारा कहीं भी नहीं लिया गया है।[1]
कविता में भावतत्व
अंग्रेज़ी कविता में रोमांटिक तत्व एक अन्य प्रकार से भी आया। 18वीं शताब्दी की क्लासिकी कविता में भावतत्व का सर्वथा अभाव था। बुद्धि की ही सर्वत्र प्रधानता थी। कवि के लिये सभी प्रकार की भावुकता से बचना आवश्यक समझा जाता था। थॉमस ग्रे की कविता में तीव्र विषाद की अभिव्यक्ति थी। इनके समकालीन कुछ अन्य कवियों में भी विषाद की झलक मिलती है। इस प्रकार कविता धीरे-धीरे बुद्धि प्रधान न रहकर भाव प्रधान होती गई। 'दि फैटल सिस्टर्स' और 'दि डीसेंट ऑव ओडिन' जैसी कविताओं में मध्ययुगीन विश्वासों पर आधारित विलक्षण और चमत्कारी तत्वों का समावेश है। क्लासिकी परंपरा का बुद्धिवादी कवि ऐसे तत्वों को साहित्य के लिये बिलकुल अनुपयुक्त समझता था। कविता में इनके आ जाने से उसे कल्पना का सहारा मिल गया।
निधन
थॉमस ग्रे का निधन 30 जुलाई, 1771 ई. में कैम्ब्रिज, इंग्लैण्ड में हुआ। निधन के बाद इनका शव 'स्टोक पोपजेज' नामक गाँव की क़ब्रगाह में इनकी माँ की क़ब्र की बगल में ही दफनाया गया। इसी स्थान पर थॉमस ग्रे ने प्रसिद्ध 'एलेजी' की रचना की थी।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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