डामर

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डामर भगवान शिव द्वारा प्रणीत शास्त्रों में एक है। इसका शाब्दिक अर्थ है 'चमत्कार'।[1]

  • इस शास्त्र में भूतों के चमत्कार का वर्णन है।
  • काशीखण्ड[2] में इसका उल्लेख है-

'डामरी डामरकल्पी नवाक्षरदेवीमंत्रस्य प्रतिपादको ग्रंथ।'

(दुर्गा देवी के नौ अक्षर वाले मंत्र का रहस्यविस्तारक ग्रंथ 'डामर' कहलाता है।)

  • वाराहीतंत्र में डामर की टीका मिलती है। इसके अनुसार डामर छ: प्रकार का है-
  1. योग डामर
  2. शिव डामर
  3. दुर्गा डामर
  4. सारस्वत डामर
  5. ब्रह्म डामर
  6. गन्धर्व डामर
  • 'कोटचक्र' विशेष का नाम भी डामर है। 'समयामृत' ग्रंथ में आठ प्रकार के कोटचक्रों का वर्णन है, जिनमें डामर भी एक है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दू धर्मकोश |लेखक: डॉ. राजबली पाण्डेय |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 289 |
  2. काशीखण्ड (29.70)

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