हरमोहिन्दर सिंह बेदी
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पूरा नाम | डॉ. हरमोहिन्दर सिंह बेदी |
जन्म | 12 मार्च, 1950 |
कर्म भूमि | भारत |
पुरस्कार-उपाधि | पद्म श्री, 2022
हिंदी सेवी पुरस्कार, (2017) शिरोमणि हिंदी साहित्यकार, (2004) |
प्रसिद्धि | लेखक, शिक्षाविद |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | हरमोहिन्दर सिंह बेदी ने तीस से भी अधिक पुस्तकों की रचना एवं संपादन कार्य किया है और हिंदी के सभी प्रमुख पत्रिकाओं में उनके लेखों को स्थान प्राप्त हुआ है। वे अनेक हिंदी समाचार पत्रों में नियमित स्तंभकार हैं । |
अद्यतन | 17:25, 30 मई 2022 (IST)
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इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
डॉ. हरमोहिन्दर सिंह बेदी (अंग्रेज़ी: Dr. Harmohinder Singh Bedi, जन्म- 12 मार्च, 1950) हिंदी लेखक, एक शिक्षाविद और भारतीय राज्य पंजाब के अकादमिक प्रशासक हैं। 40 बच्चों को पीएचडी और 60 को एमफिल कराने एवं पंजाबी-हिंदी को जोड़कर नई पहचान दिलाने वाले डॉ. हरमोहिन्दर सिंह बेदी बेदी को भारत सरकार ने पद्म श्री (2022) से सम्मानित किया है। हरमोहिन्दर सिंह बेदी का प्रेम हिंदी के प्रति उनके पिता प्रीतम सिंह बेदी के कारण जागा।
परिचय
हरमोहिन्दर सिंह बेदी का जन्म 12 मार्च, 1950 को हुआ था। पिता रेलवे में स्टेशन मास्टर थे तो उन्हें कभी हिमाचल तो कभी पंजाब में पढ़ने का मौका मिला। ग्रेजुएशन करते समय हरमोहिन्दर सिंह बेदी होशियारपुर में थे। तब उनके लेख व कविताएं छपनी शुरू हो चुकी थीं। इसके बाद उन्होंने गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी से एमए हिंदी की, जहां उनके गुरु बने हिंदी के क्रिटिक्स रमेश कुंतल। डॉ. रमेश के साथ उन्हें पंजाब में हिन्दी साहित्य पर काम करने का मौका मिला। यह वह पंजाब था, जब हिमाचल का एक बड़ा हिस्सा हरियाणा पंजाब में ही था।[1]
हिंदी-पंजाबी में एमए
डॉ. हरमोहिन्दर सिंह बेदी ने पंजाबी और हिंदी के बीच पुल बनाने का काम किया। इसके लिए उन्होंने एमए हिंदी करने के साथ-साथ भागलपुर यूनिवर्सिटी से डी लिट और पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला से एमए पंजाबी भी की। एमए पंजाबी करने का मकसद हिंदी और पंजाबी के बीच के पुल को जानना था। अपने जीवन काल में 'हिंदी सेवी पुरस्कार' प्राप्त करने के अलावा उन्हें 'शिरोमणि हिंदी पुरस्कार', 'राज भाषा पुरस्कार' भी प्राप्त किया। हिंदी साहित्य में 150 सालों से काम कर रही संस्था 'हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग' की तरफ से उन्हें 'साहित्य महामहोउपाध्याय' की डिग्री से भी सम्मानित किया जा चुका है।
विदेशों में भी छपे जनरल
हरमोहिन्दर सिंह बेदी का ज्ञान मात्र भारत ही नहीं, विदेशों को भी प्राप्त हुआ। उनके 16 शोधपत्र विदेशी जनरलों में भी छप चुके हैं। इसके अलावा भारत में छपने वाला कोई भी ऐसा जनरल नहीं बचा, जिसमें उनके शोध पत्र को जगह न मिली हो। अपने जीवन काल में उन्होंने कनाडा, डेनमार्क, नार्वे, पाकिस्तान, भूटान और सिंगापुर में भी अपने शोधपत्र पढ़े। भारत में 200 से अधिक शोधपत्र वह पढ़ चुके हैं। इसके अलावा अभी तक वह 40 बच्चों को पीएचडी और 60 स्टूडेंट्स को एमफिल के शोध करवा चुके हैं।[1]
शिक्षाविद
हरमोहिन्दर सिंह बेदी एक सर्वोत्कृष्ट शिक्षाविद हैं तथा हिंदी साहित्य में पंजाब का सांस्कृतिक एवं धार्मिक योगदान के बारे में शोध ने आपको शैक्षणिक क्षेत्र में विशेष प्रसिद्धि दिलाई है। श्रद्धाराम फिल्लौरी पर उनकी तीन खंडों में शोध कार्य ने हिंदी साहित्य के इतिहास को नई दिशा प्रदान की है। उन्होंने हिंदी को बढ़ावा देने और विकास के लिए भारत के कोने-कोने की यात्रा की है। विगत दशक से वे सार्क देशों पर ध्यान केंद्रित करते हुए समान सांस्कृतिक एवं धार्मिक विरासत के माध्यम से इनमें सांस्कृतिक संबंध विकसित करने की दिशा में कार्य कर रहे हैं।[2]
रचना एवं संपादन
उन्होंने तीस से भी अधिक पुस्तकों की रचना एवं संपादन कार्य किया है और हिंदी के सभी प्रमुख पत्रिकाओं में उनके लेखों को स्थान प्राप्त हुआ है। वे अनेक हिंदी समाचार पत्रों में नियमित स्तंभकार हैं । उनके कवि हृदय व्यक्तित्व (पांच से अधिक कविता संग्रह) और प्रभावी वक्ता गुण से सभी मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।
पुरस्कार व सम्मान
अनेक क्षेत्रीय पुरस्कारों एवं सम्मानों के साथ-साथ उन्हें हिंदी भाषा के क्षेत्र में योगदान के लिए महामहिम भारत के राष्ट्रपति महोदय द्वारा 'हिंदी सेवी पुरस्कार (2017)' तथा पंजाब सरकार द्वारा 'शिरोमणि हिंदी साहित्यकार (2004)' से भी सम्मानित किया गया है। उन्होंने श्रम एवं नियोजन मंत्रालय तथा उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं जन वितरण मंत्रालय में हिंदी सलाहकार के रूप में भी अपनी सेवाएं दी हैं। उन्हें नवीन शिक्षा नीति के ड्राफ्ट को तैयार करने के लिए भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय भाषा परिषद के पैनेल में भी शामिल किया गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 पंजाबी-हिंदी को जोड़ने वाले को पद्मश्री (हिंदी) bhaskar.com। अभिगमन तिथि: 30 मई, 2022।
- ↑ हरमहेन्द्र सिंह बेदी (हिंदी) cuhimachal.ac.in। अभिगमन तिथि: 30 मई, 2022।
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