दिसंबर
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विवरण | ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ग्यारहवाँ महीना है। |
हिंदी माह | मार्गशीर्ष - पौष |
हिजरी माह | सफ़र - रबीउल अव्वल |
कुल दिन | 31 |
व्रत एवं त्योहार | क्रिसमस, मोक्षदा एकादशी |
जयंती एवं मेले | कुरुक्षेत्र महोत्सव (हरियाणा में), विष्णुपुर महोत्सव (पश्चिम बंगाल में), कोणार्क नृत्य महोत्सव (ओडिशा में), शिल्पग्राम हस्तकला मेला (राजस्थान में) |
महत्त्वपूर्ण दिवस | विश्व एड्स दिवस (01), नौसेना दिवस (04), नागरिक सुरक्षा दिवस (06), विश्व मानवाधिकार दिवस (10), क्रिसमस डे (25), विश्व मुक्केबाज़ी दिवस (26) |
पिछला | नवंबर |
अगला | जनवरी |
अन्य जानकारी | दिसंबर वर्ष के उन सात महीनों में से एक है जिनके दिनों की संख्या 31 होती है। |
दिसंबर (अंग्रेज़ी: December) ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का बारहवाँ महीना है। यह वर्ष के उन सात महीनों में से एक है जिनके दिनों की संख्या 31 होती है। ग्रेगोरी कैलंडर, दुनिया में लगभग हर जगह उपयोग किया जाने वाला कालदर्शक (कैलंडर) या तिथिपत्रक है। यह जूलियन कालदर्शक का रूपातंरण है। ग्रेगोरी कालदर्शक की मूल इकाई दिन होता है। 365 दिनों का एक वर्ष होता है, किन्तु हर चौथा वर्ष 366 दिन का होता है जिसे अधिवर्ष (लीप का साल) कहते हैं। सूर्य पर आधारित पंचांग हर 146,097 दिनों बाद दोहराया जाता है। इसे 400 वर्षों मे बाँटा गया है, और यह 20871 सप्ताह (7 दिनों) के बराबर होता है। इन 400 वर्षों में 303 वर्ष आम वर्ष होते हैं, जिनमें 365 दिन होते हैं। और 97 लीप वर्ष होते हैं, जिनमें 366 दिन होते हैं। इस प्रकार हर वर्ष में 365 दिन, 5 घंटे, 49 मिनट और 12 सेकंड होते है। इसे पोप ग्रेगोरी ने लागू किया था।
दिसंबर के पर्व एवं त्योहार
क्रिसमस डे
यह प्रभु के पुत्र जीसस क्राइस्ट के जन्म दिन को याद करने के लिए पूरे विश्व में 25 दिसंबर को मनाया जाता है। यह ईसाइयों के सबसे महत्त्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। इस दिन भारत व अधिकांश अन्य देशों में सार्वजनिक अवकाश रहता है। भारत में विशेषकर गोवा में कुछ लोकप्रिय चर्च हैं, जहाँ क्रिसमस बहुत जोश व उत्साह के साथ मनाया जाता है। इनमें से अधिकांश चर्च भारत में ब्रिटिश व पुर्तग़ाली शासन के दौरान स्थापित किए गए थे।
मोक्षदा एकादशी
पुराणों के अनुसार मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी मोक्षदा है। इसी दिन 'गीता जयन्ती' भी मनाई जाती है तथा इसी दिन दत्त जयन्ती भी होती है। इसी दिन भगवान कृष्ण ने मोहित हुए अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। इस दिन गीता, श्रीकृष्ण, व्यास जी आदि का विधिपूर्वक पूजन करके गीता जयन्ती का उत्सव मनाया जाता है। भगवान दामोदर की धूप, दीप, नैवेद्य से पूजा करनी चाहिए। ब्राह्मण को भोजन कराकर दानादि देने से विशेष फल प्राप्त होता है। इस दिन व्रत करने से दुर्लभ मोक्ष पद की प्राप्ति होती है।
कुरुक्षेत्र महोत्सव
कुरुक्षेत्र (हरियाणा) में 'भगवद् गीता' के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में 'गीता जयंती' के रूप में यह महोत्सव मनाया जाता है। भक्तजन ब्रह्म सरोवर या सन्निहित सरोवर में श्रद्धा के साथ स्नान करते हैं। एक हफ्ते तक चलने वाले इस महोत्सव में उसी से भगवद कथा, नृत्य, नाटक और सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते हैं। शाम के समय सरोवर में दीपदान की परंपरा है।
विष्णुपुर महोत्सव
पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा ज़िले के विष्णुपुर नामक गाँव में 27 से 31 दिसंबर तक यह उत्सव मनाया जाता है। यह लघुनगर सिल्क की साड़ियों और टेराकाटा मंदिरों के लिए प्रसिद्ध हैं। स्थानीय हस्तकलाओं की बिक्री और शास्त्रीय संगीत के कार्यक्रम इस महोत्सव के प्रमुख आकर्षण हैं।
कोणार्क नृत्य महोत्सव
सूर्य मन्दिर ओडिशा में सूर्य भगवान के रथ की भव्य प्रतिमा और उसे खींचने वाले सात घोड़े, यह एकमेव और सुंदरता का भव्य प्रतीक कोनार्क के समुद्र किनारे स्थित है। यह ऐसी जगह है जहाँ हर साल शास्त्रीय संगीत और नृत्य का आयोजन किया जाता है। भारत के प्रसिद्ध कलाकार यहाँ खुले आसमान के नीचे अपनी कला को प्रस्तुत करते हैं। घुंघरू, बाँसुरी, पाखावज आदि की गूँज वातावरण में मधुरता घोल देती है, साथ साथ हस्तकला का प्रदर्शन इस माहौल में चारचाँद लगा देता है।
शिल्पग्राम हस्तकला मेला
उदयपुर जैसी शाही नगरी में भारत के कुशल कारीगरों द्वारा निर्मित आकर्षक हस्तकलाओं का यह मेला, हस्तकला-प्रेमियों का तीर्थ है। राजस्थान, महाराष्ट्र, गोवा और गुजरात की हस्तकलाओं, कारीगरों, नृत्य संगीत और लोक जीवन की झाँकी प्रस्तुत करने वाला यह छोटा-सा स्थल उदयपुर से तीन किलोमीटर दूर शिल्पग्राम नामक स्थान पर है। दिसंबर के महीने में सम्पूर्ण भारत के हस्तशिल्पी यहाँ अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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