धीरूभाई अंबानी
धीरूभाई अंबानी
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पूरा नाम | धीरजलाल हीराचंद अंबानी |
जन्म | 28 दिसंबर, 1932 |
जन्म भूमि | जूनागढ़ ज़िले, सौराष्ट्र |
मृत्यु | 6 जुलाई, 2002 |
मृत्यु स्थान | मुंबई |
अभिभावक | हीराचंद अंबानी |
पति/पत्नी | कोकिला बेन |
संतान | पुत्र- मुकेश अंबानी, अनिल अंबानी; पुत्री- नीना कोठरी, दीप्ति सलगांवकर |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | उद्योगपति |
पुरस्कार-उपाधि | पद्म विभूषण |
प्रसिद्धि | रिलायंस कम्पनी के संस्थापक |
नागरिकता | भारतीय |
विचारधारा | धीरूभाई का प्रमुख विचार था कि सफलता उन्हीं को मिलती है, जो उसके लिए जोखिम उठाते हैं। उन्होंने बार-बार साबित किया कि जोखिम लेना व्यवसाय का नहीं आगे बढ़ने का मंत्र है। |
व्यवसाय का विस्तार | धीरुभाई ने मुख्य रूप से पेट्रोरसायन, दूरसंचार, सूचना प्रोद्योगिकी, ऊर्जा, बिजली, फुटकर, कपड़ा/टेक्सटाइल, मूलभूत सुविधाओं की सेवा, पूंजी बाज़ार और प्रचालन-तंत्र के क्षेत्रों में कम्पनी का विस्तार किया। |
अन्य जानकारी | धीरुभाई को इक्विटी कल्ट को भारत में प्रारम्भ करने का श्रेय भी जाता है। जब 1977 में रिलायंस ने आईपीओ (IPO) जारी किया तब 58,000 से ज्यादा निवेशकों ने उसमें निवेश किया था। |
धीरजलाल हीराचंद अंबानी (जन्म- 28 दिसंबर, 1932, जूनागढ़ ज़िले, सौराष्ट्र; मृत्यु- 6 जुलाई, 2002, मुंबई) भारत के प्रसिद्ध उद्योगपति थे, जिन्होंने रिलायंस इंडस्ट्रीज की स्थापना की। उन्होंने मात्र दसवीं तक की शिक्षा ग्रहण की थी, पर अपने दृढ-संकल्प के बूते उन्होंने स्वयं का विशाल व्यापारिक और औद्योगिक साम्राज्य स्थापित किया। सिर्फ तीन दशकों में ही उन्होंने अपने छोटे से कारोबार को एक विशाल औद्योगिक कंपनी में बदल डाला।
जन्म एवं परिवार
धीरूभाई अंबानी का जन्म सौराष्ट्र के जूनागढ़ ज़िले में हुआ था। इनका पूरा नाम धीरजलाल हीराचंद अंबानी था। भारत की सबसे बड़ी निजी उद्योग कंपनी रिलायंस के, जिसका कारोबार 65,000 करोड़ रुपये तक पहुंचा, के मालिक धीरूभाई अंबानी का जीवन असाधारण रूप से घटना-प्रधान रहा है। पिता हीराचंद एक प्राइमरी पाठशाला में अध्यापक थे। धीरूभाई अंबानी के परिवार में इनकी पत्नी कोकिला बेन तथा इनकी चार संतान पुत्र मुकेश अंबानी, अनिल अंबानी, पुत्री नीना कोठरी, दीप्ति सल्गाओकर है।
व्यवसायिक कॅरियर
- व्यवसाय का आरंभ
आर्थिक कठिनाई के कारण छोटे-मोटे काम करते हुए धीरूभाई कक्षा 9 तक की पढ़ाई कर सके। उसके बाद वे मुंबई आए और यहाँ आजीविका के लिए सड़क पर फल बेचने के सहित दुकानों में काम किया। फिर वे अदन चले गए। यहां भी उन्हें एक रिफाइनरी में मज़दूरी और पेट्रोल पंप में तेल भरने का काम मिला।
फिर एक चक्कर अमेरिका का लगाया और स्वयं अपना व्यवसाय आरंभ करने का निश्चय करके स्वदेश लौटने पर उन्होंने 1958 में ‘रिलायंस कमर्शियल कॉरपोरेशन’ नामक कंपनी बनाई। इस कंपनी ने आरंभ में पश्चिमी देशों में अदरक, हल्दी तथा अन्य मसालों का निर्यात किया। बाद में पालियस्टर धागे, वस्त्र उद्योग, पेट्रो रसायन, तेल और गैस, टेलिकॉम आदि क्षेत्रों में असाधारण उन्नति की। अंबानी ने जनता में शेयर बेचकर धन एकत्र किया और शेयरधारकों का विश्वास सदा बनाए रखा।
- दूरदर्शी व्यक्ति
वे बड़े दूरदर्शी व्यक्ति थे। उद्योग की संभावनाओं का पूर्वानुमान लगा कर वे समय रहते उस क्षेत्र में काम आरंभ कर देते थे। उन्होंने स्वयं अकूत संपत्ति अर्जित की और शेयरधारकों को भी उसमें साझीदार बनाया। आधुनिक भारत में अपनी सूझबूझ से कुछ ही वर्षों में इतना सफल उद्योग-व्यवसाय समूह स्थापित करने वाले वे अद्वितीय व्यक्ति थे।
पुरस्कार एवं सम्मान
- पद्म विभूषण - 2016
- द इकोनॉमिक टाइम्स लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार - 10 अगस्त 2001
- टीएनएस-मोड सर्वे- इंडियाज मोस्ट एडमायर्ड सीईओ - 26 जुलाई 1999
- कैमटेक फाउंडेशन- मैन ऑफ द सेंचूरी अवार्ड - 8 नवम्बर 2000
धीरूभाई के विचार
- ‘मेरी सफलता का राज़ मेरी महत्वाकांक्षा और अन्य लोगों का मन जानना है’
- “सही उद्यमशीलता जोखिम लेने से ही आता है”
- “कठिनाइयों में भी अपने लक्ष्य को पाने की कोशिश करें। कठिनाइयों को अवसरों में तब्दील करें। असफलताओं के बावजूद, अपना मनोबल ऊँचा रखें। अंत में सफलता आपको अवश्य मिलेगी”
- “बड़ा सोचो, जल्दी सोचो, आगे सोचो। विचारों पर किसी का एकाधिकार नहीं है”
- “हम अपने शाशकों को नहीं बदल सकते पर जिस तरह वो हम पर राज करते हैं उसे बदल सकते हैं”
निधन
दिल का दौरा पड़ने के बाद धीरुभाई को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में 24 जून, 2002 को भर्ती कराया गया। इससे पहले भी उन्हें दिल का दौरा एक बार 1986 में पड़ चुका था, जिससे उनके दायें हाँथ में लकवा मार गया था। 6 जुलाई 2002 को सिर की शिरा फट जाने के कारण उनका मुंबई के एक अस्पताल में देहांत हो गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
लीलाधर, शर्मा भारतीय चरित कोश (हिन्दी)। भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: शिक्षा भारती, 404-405।
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