शुजाउद्दौला (1754-1775 ई.) अवध का तृतीय स्वतंत्र नवाब और वहाँ के द्वितीय नवाब सफदरजंग का पुत्र तथा उत्तराधिकारी था। शुजाउद्दौला को आलमगीर द्वितीय (1754-1759 ई.) तथा शाहआलम द्वितीय (1759-1806 ई.) नामक मुग़ल सम्राट से वज़ीर का ओहदा मिला था। जब अहमदशाह अब्दाली ने भारत पर आक्रमण किया, उस समय शुजाउद्दौला ने मुग़ल सम्राट की कोई सहायता नहीं की। उसने केवल अपने हितों पर ही ध्यान दिया था। 1774 ई. में नवाब शुजाउद्दौला ने अंग्रेज़ों की सहायता से रूहेलखण्ड पर आक्रमण किया था, लेकिन इसके दूसरे ही वर्ष उसकी मृत्यु हो गई।
अब्दाली का आक्रमण
1756 ई. में अहमदशाह अब्दाली का आक्रमण भारत पर हुआ, और उसने दिल्ली को लूटा तथा 1759 ई. में पंजाब पर पूर्ण अधिकार कर लिया, उस समय शुजाउद्दौला ने मुग़ल सम्राट की कोई सहायता नहीं की। मुग़ल सम्राट तथा उसके सहायक मराठों को 1761 ई. में पानीपत के तृतीय युद्ध में अब्दाली ने परास्त किया। शुजाउद्दौला ने सदैव केवल अपने वंश के ही हितों पर ध्यान दिया। 1764 ई. में उसने बंगाल से भागकर सहायतार्थ आने वाले वहाँ के नवाब मीर क़ासिम तथा शाहआलम द्वितीय से कम्पनी के विरुद्ध एक सन्धि की, पर बक्सर के युद्ध में वह पराजित हुआ।
अंग्रेज़ों से सन्धि
1765 ई. में शुजाउद्दौला ने कड़ा और इलाहाबाद के ज़िलों सहित 50 लाख रुपये की धनराशि हर्ज़ाने के रूप में देकर अंग्रेज़ों से सन्धि कर ली। साथ ही उसने अंग्रेज़ों से एक सुरक्षात्मक सन्धि भी की, जिसके अनुसार उसके राज्य की सीमाओं के रक्षार्थ कम्पनी ने उसे इस क़रार के अनुसार सहायता देना स्वीकार किया कि, सेना का सम्पूर्ण व्यय-भार उसे वहन करना होगा। 1772 ई. में उसने रुहलों से इस आशय की सन्धि की, कि यदि मराठों ने उन पर आक्रमण किया, तो वह मराठों को इधर न बढ़ने देगा और इसके बदले में रुहल उसे 40 लाख रुपये की धनराशि देंगे।
बनारस की सन्धि
1773 में मराठों ने रूहेलखण्ड पर आक्रमण किया, किन्तु वे बिना किसी युद्ध के ही वापस लौट गये। अब शुजाउद्दौला ने रुहलों से 40 लाख रुपयों की निर्धारित धनराशि की माँग की, और रुहेल उसे देने में आनाकानी करने लगे। अतएव शुजाउद्दौला ने ईस्ट इंडिया कम्पनी के साथ बनारस की प्रसिद्ध 'बनारस सन्धि' कर ली, जिसकी शर्तों के अनुसार 50 लाख रुपये के बदले उन्हें कड़ा और इलाहाबाद ज़िले को पुनः प्राप्त हो गये तथा लखनऊ में कम्पनी की एक पलटन रखने के बदले उन्हें निश्चित धनराशि भी प्राप्त हुई। बनारस में ही उसे बंगाल के गवर्नर वारेन हेस्टिंग्स द्वारा यह आश्वासन मिला, कि कम्पनी रुहलों से 40 लाख रुपये प्राप्त करने में शुजाउद्दौला की सहायता अंग्रेज़ पलटन के द्वारा करेगी, क्योंकि शुजाउद्दौला की दृष्टि में रुहलों से वह धनराशि उसको मिलनी थी।
मृत्यु
1774 ई. में नवाब ने अंग्रेज़ पलटन की सहायता से रूहेलखण्ड पर आक्रमण किया, वहाँ के शासक हाफ़िज अहमद ख़ाँ को मीरनपुर कटरा के युद्ध में पराजित किया और रूहेलखण्ड को अपने राज्य में सम्मिलित कर लिया। इसके दूसरे ही वर्ष नवाब शुजाउद्दौला की मृत्यु हो गयी। शुजाउद्दौला की मृत्यु के बाद उसका बेटा आसफ़उद्दौला उत्तराधिकारी और नवाब बना।
|
|
|
|
|
वीथिका
-
शुजाउद्दौला
-
अपने बेटों के साथ शुजाउद्दौला
-
शुजाउद्दौला महल, लखनऊ
संबंधित लेख