नहपान

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
  • नहपान 'क्षहरात वंश' का ख्यातिप्राप्त व बहुत ही योग्य शासक था। भूमक के बाद उसे ही क्षहरात वंश का शासक व गद्दी का वास्तविक उत्तराधिकारी नियुक्त किया गया था। इसका शासनकाल सम्भवतः 119 से 224 ई. तक रहा। नहपान ने अपनी मुद्राओं पर 'राजा' की उपाधि धारण की थी।
  • नहपान का साम्राज्य उत्तर में अजमेर एवं राजपूताना तक विस्तृत था। इसके अन्तर्गत काठियावाड़, दक्षिणी गुजरात, पश्चिमी मालवा, उत्तरी कोंकण, नासिकपूना आदि सम्मिलित थे।
  • ऋषदत्त (उषादत्त) जो कि नहपान का दामाद था, नहपान के समय में उसके दक्षिणी प्रान्त गोवर्धन (नासिक) तथा मामल्ल (पूना) का वायसराय था।
  • नहपान के समय में स्वर्ण के कर्षापण का विनिमय दर 1:35 था।
  • इसके समय में भड़ौच बन्दरगाह द्वारा उज्जैन, प्रतिष्ठान से लाए गए व्यापारिक सामान को पश्चिमी देशों को भेजा जाता था।
  • सम्भवतः सातवाहन नरेश गौतमी शातकर्णी ने नहपान को परास्त कर उसकी हत्या कर दी थी, जिसका साक्ष्य 'जोगलथम्बी' में पाए गए सिक्कों से होता है।
  • कुछ लोग नहपान को ही शक संवत का प्रवर्तक मानते हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख