नागनाथ अखाड़ा, वाराणसी
काशी के प्राचीन अखाड़े में एक अखाड़ा था ‘नाग नाथ की बैठक’। इसे काशी के एक प्रसिद्ध योगी नागनाथ ने स्थापित किया था। अब यह अखाड़ा नहीं है। एक प्राचीन अखाड़ा था भंगड़ भिक्षु का जो ऐतरनी-वैतरनी पर था। एक अन्य अखाड़ा था ‘रज्जू नालबंद का अखाड़ा।’ यहाँ सिर्फ मुसलमान पहलवान कुश्ती लड़ते थे। अब यह अखाड़ा नहीं है। पहले काशी में घर-घर पहलवान थे। कहा जाता है कि जहाँ कहीं भी प्राचीन हनुमान जी की मूर्ति हैं वहाँ किसी-न-किसी रूप में अखाड़ा मौजूद हैं। जैसे संकटमोचन मन्दिर के चहारदीवारी के भीतर भी एक अखाड़ा है लेकिन वहाँ शिक्षण-प्रशिक्षण की व्यवस्था नहीं है। पहले स्थिति यह थी कि हिन्दुओं के अखाड़े में मुसलमान नहीं लड़ते और मुसलमानों के अखाड़े में हिन्दू नहीं जाते थे। लेकिन अब यही स्थिति बदल गयी है। मीरघाट पर एक मन्नू साहु का अखाड़ा भी है। यहाँ के प्रसिद्ध पहलवान निक्के पाधा थे, जो ईलाही गंजे से लड़ चुके थे। करौती गाँव अखाड़ा नन्दा सिंह का था। यहाँ एक अँगनू अहीर थे जिनका शरीर पत्थर की तरह कठोर था। काशी में क़रीब 80 वर्ष पहले दो मुसलमान तथा दो हिन्दू भाइयों की जोड़ी ने काशी के दंगलों में धूम मचा दी थी ये हैं- बब्बन-गुज्जन तब रूपा-अनूपा। इसके अतिरिक्त कुछ और भी प्रसिद्ध अखाड़े है जैसे-अखाड़ा अज्ञवान वीर, अखाड़ा मोर्चारी, अखाड़ा बड़ी गैबी तथा अखाड़ा छोटी गैबी।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ अखाड़े/व्यायामशालाएँ (हिंदी) काशीकथा। अभिगमन तिथि: 19 जनवरी, 2014।
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