नाथ साहित्य
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नाथ साहित्य के आरम्भकर्ता गोरखनाथ[1] माने जाते हैं। गोरखपंथी साहित्य के अनुसार आदिनाथ स्वयं भगवान शिव को माना जाता है।
- गोरखनाथ की 40 छोटी-मोटी रचनाओं का संग्रह ‘गोरखबानी’ नाम से पीताम्बर दत्त बड़श्वाल ने किया है।[2] इनके नाम इस प्रकार हैं-
क्र.सं. | रचना | क्र.सं. | रचना | क्र.सं. | रचना | क्र.सं. | रचना |
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1. | सबदी | 2. | पद | 3. | शिक्षा-दर्शन | 4. | प्राण सांकली |
5. | नखै बोध | 6. | आत्मबोध | 7. | अभैयात्रा योग | 8. | पन्द्रह तिथि |
9. | सप्रक्खर | 10. | महेंद्र गोरखबोध | 11. | रोमावली | 12. | ज्ञान-तिलक |
13. | ज्ञानचौंतीसा | 14. | पंचमात्रा | 15. | गोरख गणेश गोष्ठी | 16. | गोरख दत्त गोष्ठी |
17. | महादेव गोरख गुष्ट | 18. | शिष्ट पुराण | 19. | दयाबोध | 20. | जाति भौंरावलि |
21. | नवग्रह | 22. | नवराम | 23. | अष्ट पाछैया | 24. | रहरास |
25. | ज्ञानमाला | 26. | आत्मबोध | 27. | व्रत | 28. | निरंजन पुराण |
29. | गोरखवचन | 30. | इंद्री देवता | 31. | मूल गर्भावली | 32. | खाँड़ी वाणी |
33. | गोरख शत | 34. | अष्टमुद्रा | 35. | चौबीस सिद्धि | 36. | षडक्षरी |
37. | पंच अग्नि | 38. | अष्टचक्र | 39. | अवलि सिलूक | 40. | काफ़िर बोध |
इनके अतिरिक्त 41वाँ एक और ‘ज्ञान-चौंतीसा’ है, जो समय पर नहीं मिलने के कारण ‘गोरखबानी’ में सम्मिलित नहीं किया जा सका। पीताम्बर दत्त बड़श्वाल प्रथम चौदह को प्रामाणिक मानते हैं।
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