पुरा पाषाण काल (अंग्रेज़ी: Palaeolithic Age) प्रागैतिहासिक काल का वह समय है, जब मानव ने पत्थर के औजार बनाना सबसे पहले आरम्भ किया। यह काल आधुनिक काल से 25-20 लाख साल पूर्व से लेकर 12,000 साल पूर्व तक माना जाता है। इस दौरान मानव इतिहास का 99 प्रतिशत विकास हुआ। इस काल के बाद मध्य पाषाण युग का प्रारंभ हुआ, जब मानव ने कृषि कार्य करना शुरू किया।
भारत में अवशेष
भारत में पुरा पाषाण काल के अवशेष तमिलनाडु के कुरनूल, ओडिशा के कुलिआना, राजस्थान के डीडवाना के श्रृंगी तालाब के निकट और मध्य प्रदेश के भीमबेटका में मिलते हैं। इन अवशेषों की संख्या मध्य पाषाण काल के प्राप्त अवशेषों से बहुत कम है।
विभाजन
मानव की आरंभिक गतिविधियां पुरा पाषाण काल में ही अभिव्यक्त होने लगती हैं। इस काल में मानव शिकार व खाद्य संग्रह पर निर्भर थे। तकनीकी विकास व जलवायु परिवर्तन के आधार पर पुरा पाषाण काल को तीन भागों में बांटा जा सकता है-
- निम्न पुरा पाषाण काल - 5 लाख ईसा पूर्व से 50 हजार से ईसा पूर्व
- मध्य पुरा पाषाण काल - 50 हजार से ईसा पूर्व से 40 हजार से ईसा पूर्व
- उच्च पुरा पाषाण काल - 40 हजार से ईसा पूर्व से 10 हजार से ईसा पूर्व
महत्त्वपूर्ण तथ्य
- निम्न पुरा पाषाण काल में जलवायु अधिकांशतः ठंडी थी। उच्च पुरा पाषाण काल तक जलवायु शुष्क होने लगती है।
- निम्न पुरा पाषाण काल में क्रोड उपकरणों का प्रयोग होता था जबकि उच्च पुरा पाषाण में शल्क उपकरणों का महत्त्व बढ़ने लगा था।
- निम्न पुरा पाषाण कालीन उपकरण थे- हस्त कुठार, खंडक व विदारिणी। उच्च पुरा पाषाण कालीन उपकरण थे- तक्षिणी और खुरचनी।
- मध्य पुरा पाषाण काल को फलक संस्कृति के नाम से भी जाना जाता है। उच्च पुरा पाषाण काल में हड्डियों के उपकरणों का प्रयोग भी आरम्भ हो गया था।
- भीमबेटका से प्राप्त गुफ़ाचित्र उच्च पुरा पाषाण काल से सम्बंधित हैं।
- पुरा पाषाण काल से सम्बन्धित जानकारी के स्त्रोत उपकरण ही हैं, अतः इस काल की जानकारी सीमित है।
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