पोपटराव पवार

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पोपटराव पवार
पोपटराव पवार
पोपटराव पवार
पूरा नाम पोपटराव पवार
जन्म वर्ष 1960
जन्म भूमि हिवरे बाज़ार, अहमदनगर ज़िला, महाराष्ट्र
नागरिकता भारतीय
शिक्षा एम. कॉम
विशेष योगदान अपने गाँव हिवरे बाज़ार को आदर्श गांव बनाया।
अन्य जानकारी पोपटराव पवार युवा पीढ़ी के सबसे अग्रणी जल योद्धाओं में से एक हैं।
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पोपटराव पवार (अंग्रेज़ी: Popatrao Pawar, जन्म: 1960) महाराष्ट्र सरकार के आदर्श ग्राम कार्यक्रम के निदेशक हैं। ये युवा पीढ़ी के सबसे अग्रणी जल योद्धाओं में से एक हैं। वैसे तो पवार का मूल निवास स्थान महाराष्ट्र के अहमदनगर ज़िले का हिवरे बाज़ार गाँव है, लेकिन इनकी शिक्षा पुणे शहर में हुई, जहां के विश्वविद्यालय से उन्होंने एम. कॉम की परीक्षा उत्तीर्ण की। वे अपने गांव में एक समय इकलौते पोस्ट ग्रेजुएट हुआ करते थे। लिहाजा, गांव के युवाओं ने उनसे आग्रह किया कि वे सरपंच का चुनाव लड़ें। लेकिन पवार की इसमें दिलचस्पी नहीं थी। परिवार वाले चाहते थे कि वे शहर जाएं और बढ़िया-सी नौकरी करें, जबकि पवार क्रिकेटर बनना चाहते थे। खेलते भी अच्छा थे। घर के लोगों को भी लगता था कि वे एक न एक दिन कम से कम रणजी टूर्नामेंट में तो खेल ही लेंगे। आखिरकार हुआ क्या? पोपटराव गांव के सरपंच ही बने। सिर्फ यही नहीं, उन्होंने गांव को क्रिकेटरों से ज्यादा दौलतमंद बना दिया। हो सकता है, आपको यकीन न हो, क्योंकि जब आप पवार के गांव का इतिहास खंगालेंगे तो मौजूदा स्थिति पर शक हो सकता है। एक समय महाराष्ट्र के अहमदनगर ज़िले का हिवड़े बाज़ार नाम का यह गांव ग़रीबी से त्रस्त था। लोग भी शराब के लती। और तरह-तरह के अपराध आम। लेकिन अब हालात एकदम उलट हैं।

पोपटराव पवार

आदर्श गांव 'हिवरे बाज़ार' के निर्माता

सन् 1972 से पहले तक उनका हिवरे बाज़ार गांव संपन्न और आत्मनिर्भर था, लेकिन सन् 1972 के सूखे और अकाल की स्थिति बनने से इस गांव का पतन होने लगा। यह स्थिति सन् 1989 तक बनी रही, क्योंकि यहां पेय जल और सिंचाई के जल के अभाव में लोगों को भरपेट खाना नहीं मिल पा रहा था। मवेशी मर रहे थे और लोग बाहर काम की तलाश में भटकते रहते थे। पवार का इसी गांव में एक फार्म हाउस है, जहां वे कुछ दिनों के लिए आए हुए थे। उन्हें गांव की स्थिति न देखी गई और फिर उन्होंने गांव के सुधार और विकास को अपने जीवन का मकसद बना लिया और गांव वालों के अनुरोध पर सरपंच बने। शुरुआत में उन्होंने गाँव वालों के साथ मिलकर स्कूल और सड़क निर्माण, वृक्षारोपण, जल पंढाल विकास तथा पेय जल की व्यवस्था बनाई। इस समय तक इस गाँव की प्रतिष्ठा का तो ये आलम था कि गैर सरकारी संगठन भी यहां कोई विकास कार्य शुरू करने से कतराते थे, लेकिन पवार ने हिम्मत नहीं हारी और वे अन्ना साहेब हजारे से मिले और उन्होंने हजारे को अपने क्षेत्र के विकास में सहयोग करने का निवेदन किया, जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार लिया और फिर हिवरे बाज़ार गाँव को ‘आदर्श गांव योजना’ के दायरे में ले लिया गया। इन्होंने अपने आदर्श गांव योजना के तहत वृक्षारोपण के साथ-साथ मिट्टी और पानी को रोकने के काफ़ी सफल प्रयास किए, जिससे देखते ही देखते यह क्षेत्र हरा- भरा हो गया। जंगल फिर से बढ़ने लगा, कृषि का उत्पादन चौगुना बढ़ा। इससे यहां की 300 एकड़ जमीन में सिंचाई होने लगी, जब कि पहले 15 एकड़ जमीन की भी सिंचाई नहीं हो पाती थी। चारे की बढ़त से दुधारू पशुओं की संख्या बढ़ी। और यह गांव समृद्ध गांवों की श्रेणी में आ गया। गांव में उनकी इसी कामयाबी के कारण महाराष्ट्र सरकार इस गाँव में एक ऐसा प्रशिक्षण केंद्र खोलने जा रही है, जहां इस राज्य के सभी संरपंचों को प्रशिक्षण दिया जा सके और जहां सरपंच आकर इस गांव में हुए परिवर्तनों को देख सकें।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पोपटराव पवार (हिन्दी) इंडिया वाटर पोर्टल (हिन्दी)। अभिगमन तिथि: 8 सितम्बर, 2014।

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