फुरहरी
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| हिन्दी | सींक का टुकड़ा या छोटी तीली जिसके सिर पर ज़रा-सी रुई लपेटी गयी हो और उसे तेल या ओषधि आदि में डुबाकर काम में लिया जाए; फुर-फुर ध्वनि, पक्षियों के फड़फड़ाने से उत्पन्न ध्वनि, भय या ठंड आदि के कारण उत्पन्न कँपकँपी, थरथराहट। |
| -व्याकरण | स्त्रीलिंग |
| -उदाहरण | |
| -विशेष | नहिं नहाय नहिं जाय घर, चित चिहट्यौ उहि तीर, |
| -विलोम | |
| -पर्यायवाची | स्फुरण, ठिठुरन, भय कंपन, सिहरन, थरथरी, थरार्हट, दहल आदि। |
| संस्कृत | |
| अन्य ग्रंथ | |
| संबंधित शब्द | फुनगी |
| संबंधित लेख |
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ सक्सेना, डॉ. प्रतिभा। प्राइवेसी कहाँ! (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) साहित्य कुञ्ज। अभिगमन तिथि: 31 जनवरी, 2011।