बेगार प्रथा
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बेगार प्रथा राजस्थान में प्रचलित थी। सामन्तों, जागीरदारों व राजाओं द्वारा अपनी रैयत से मुफ्त सेवाएँ लेना ही 'बेगार प्रथा' कहलाती थी।
- ब्राह्मण व राजपूत के अतिरिक्त अन्य सभी जातियों को बेगार देनी पड़ती थी।
- बेगार प्रथा का अन्त राजस्थान के एकीकरण और उसके बाद जागीरदारी प्रथा की समाप्ति के साथ ही हुआ।
- इस प्रथा में श्रमिकों की इच्छा के बिना काम लिया जाता है। सामंती, साम्राज्यवादी और अफ़सरशाही प्रायः समाज के कमज़ोर लोगों से बेगार करवाती थी। *ब्रिटिशकालीन भारत में तो यह प्रथा आम बात थी, किंतु स्वतंत्र भारत में भी इस तरह की घटनाओं का सर्वथा अभाव नहीं है। यह प्रथा अंग्रेज़ों के खिलाफ आम जनता के असंतोष की एक बड़ी वजह थी।
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