ब्रह्मोस मिसाइल
ब्रह्मोस भारत और रूस के द्वारा विकसित की गई अब तक की सबसे आधुनिक प्रक्षेपास्त्र प्रणाली है और इसने भारत को मिसाइल तकनीक में अग्रणी देश बना दिया है। भारत ने रविवार 5 सितम्बर, 2010 को उड़ीसा तटीय क्षेत्र में चाँदीपुर के एकीकृत परीक्षण स्थल (आईटीआर) से 290 किलोमीटर की दूरी तक मार करने वाली ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के उन्नतम संस्करण का सफल परीक्षण किया था। रक्षा बलों द्वारा इसकी क्षमताओं को दुरूस्त करने के परीक्षणों के तहत यह परीक्षण किया गया था। आईटीआर के निदेशक एसपी दास ने पूर्वाह्न 11 बजे एक मोबाइल लांचर से मिसाइल के प्रक्षेपण के बाद कहा कि आधुनिक दिशा-निर्देशों और उन्नत सॉफ्टवेयर के साथ ब्रह्मोस के ब्लॉक-तीन संस्करण का आईटीआर के प्रक्षेपण परिसर तीन से सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया। जिसमें अनेक बिंदुओं पर ऊँचाई पर कलाबाजियाँ शामिल हैं। उन्होंने कहा कि टर्मिनल बिंदु के पास नौसेनिक जहाजों समेत सभी दूरमापी एवं निगरानी केंद्रों ने मिशन की सफलता की पुष्टि की है। ब्रह्मोस एयरोस्पेस के प्रबंध निदेशक तथा मुख्य कार्यकारी अधिकारी ए. शिवथान्नू पिल्लई ने कहा कि यह एक सटीक प्रक्षेपण था और मिशन सफल हुआ।
मारक क्षमता
ब्रह्मोस मिसाइल की मारक क्षमता 290 किलोमीटर है और यह 300 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री अपने साथ ले जा सकता है। मिसाइल की गति ध्वनि की गति से क़रीब तीन गुना अधिक है। ब्रह्मोस से आतंकवादी शिविरों समेत बेहद सटीक लक्ष्यों को विशेष तौर पर निशाना बनाया जा सकता है। इस प्रकार के हमलों में लक्ष्यों के अतिरिक्त अन्य नुकसान नहीं होता। यह मिसाइल ध्वनि की गति से 2.8 गुना अधिक तेज़ीसे उड़ान भर सकती है और अपने साथ 300 किलोग्राम वजनी आयुध ले जाने में सक्षम है और 290 किलोमीटर तक निशाना साध सकती है। इसकी सटीकता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह ज़मीनी लक्ष्य को दस मीटर की उँचाई तक से प्रभावी ढंग से निशाना बना सकती है। रूस के साथ संयुक्त रूप से विकसित ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। हालाँकि ब्रह्मोस मिसाइल पनडुब्बी, जहाज, विमान और ज़मीन स्थित मोबाइल ऑटोनॉमस लांचर जैसे बहु मंचों से दागी जा सकती है।
भारतीय सेना में 290 किलोमीटर के दायरे वाली ब्रह्मोस-1 की एक रेजीमेंट पहले से ही संचालित है जिसमें 67 मिसाइलें, 12 गुणा 12 के तत्र वाहनों पर पाँच मोबाइल ऑटोनामस लांचर और दो चलित कमान चौकियों के अलावा कुछ अन्य उपकरण शामिल हैं। भारतीय नौसेना ने 2005 से अग्रिम मोर्चे के अपने सभी जंगी जहाजों पर ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली के पहले संस्करण की तैनाती शुरू कर दी थी। सेना ब्रह्मोस ब्लॉक-2 ज़मीन पर हमला करने वाली क्रूज मिसाइल (एलएसीएम) की दो और रेजीमेंट शामिल करने की प्रक्रिया में है जो नगरीय क्षेत्रों में छोटे ठिकानों को निशाना बनाने में सक्षम ‘सटीक हमलावर हथियारों’ के रूप में डिजाइन की गई हैं। ब्रह्मोस मिसाइल का पहला उड़ान परीक्षण एकीकृत परीक्षण क्षेत्र से 12 जून, 2001 को किया गया था और इसी स्थान से 5 सितंबर, 2010 को अंतिम सफल परीक्षण किया गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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