अर्थ |
भ्रमर, भौंरा, भृंगराज (पौधा), भँगरा, भृंगराज पक्षी, लम्पट मनुष्य, सुवर्ण का घट/पात्र। | | व्याकरण |
पुल्लिंग, एक समवर्णिक छ्न्द जिसके प्रत्येक चरण में क्रमश: 6 नगण और गुरु-लघु के योग से 20 वर्ण होते हैं तथा 6-6-8 पर यति होती है। | | उदाहरण |
मैं प्यासा भृंग जनम भर का
फिर मेरी प्यास बुझाए क्या,
दुनिया का प्यार रसम भर का ।
मैं प्यासा भृंग जनम भर का ।। -गोपाल सिंह नेपाली | | विशेष |
एक कीड़ा जो किसी कीड़े को पकड़कर उसे मिट्टी से ढँक देता है और फिर उस पर बैठकर अपनी आवाज़ आदि से कीड़े को अपने समान ही बना लेता है। | | संस्कृत |
[(धातु) भृ+गन्, कित्, नुट्-आगम] | | संबंधित शब्द |
भृंगक | | सभी लेख | |
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