मदिरा

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मदिरा एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- मदिरा (बहुविकल्पी)

मदिरा सुरा या शराब अल्कोहलीय पेय पदार्थ है। महाभारत के मौसल पर्व के अध्याय 3 में आये एक प्रसंग के अनुसार काल से घिरे हुए वृष्णि और अन्धक महारथियों ने देखा कि उद्धव अपने तेज से पृथ्वी और आकाश को व्याप्त करके यहाँ से चले जा रहे हैं। उन महामनस्वी यादवों के यहाँ ब्राह्मणों को जिमाने के लिये जो अन्न तैयार किया गया था उस में मदिरा मिलाकर उस की गन्ध से युक्त हुए उस भोजन को उन्होंने वानरों को बाँट दिया। तदनन्तर वहाँ सैकड़ों प्रकार के बाजे बजने लगे। सब ओर नटों और नर्तकों का नृत्य होने लगा। इस प्रकार प्रभास क्षेत्र में प्रचण्ड तेजस्वी यादवों का वह महापान आरम्भ हुआ। श्रीकृष्ण के पास ही कृतवर्मा सहित बलराम, सात्यकि, गद और बभ्रु पीने लगे।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महाभारत मौसल पर्व अध्याय 3 श्लोक 1-16

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