मध्यमहेश्वर
मध्यमहेश्वर अंग्रेज़ी: Madhyamaheshwar) हिंदू भगवान शिव को समर्पित मंदिर है, जो चोपटा, उत्तराखंड में मंसुना के गांव में स्थित है। यह मंदिर समुद्र तल से 3497 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। पंच केदारों में केदारनाथ, तुंगनाथ, रुद्रनाथ, मध्यमहेश्वर और कल्पेश्वर, चोटियों के क्रम में शामिल हैं। इस प्रकार, मंदिर पंच केदार तीर्थ यात्रा में चौथे स्थान पर आता है।
प्राकृतिक सुंदरता
यह प्रकृति की प्रचुरता से भरा एक सुंदर स्थान है। गढ़वाल में स्थित मध्यमहेश्वर को मदमहेश्वर के रूप में भी जाना जाता है। चारों ओर पहाड़ों से घिरा हुआ यह स्थान पर्यटकों को बहुत आकर्षित करता है। यह स्थान हिंदू श्रद्धालु के लिए धार्मिक और आध्यात्मिक रूप में काफी महत्व रखता है। यहां मौजूद “मध्यमहेश्वर मंदिर” केदारनाथ, तुंगनाथ, रूद्रनाथ और कल्पेश्वर जैसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक माना जाता है, जिसके चलते कई सैलानी इस मंदिर के दर्शन के लिए आते है। यह स्थान अध्यात्म के अलावा पर्यटन के लिए भी जाना जाता है, यहां का अद्भुत प्रकृतिक सौंदर्य और साहसिक गतिविधियों का आनंद लेने के लिए पर्यटक यहां आते हैं।
इतिहास
इस स्थान से जुड़ी कई लोककखाएं जुड़ी हुई है, यह माना जाता है कि महाभारत युद्ध के बाद एक महान साधु ने पांडवों को शिव की अराधना की सलाह दी थी। यह आवश्यक था क्योंकि इस महायुद्ध के दौरान पांडवों ने अपने ही परिजनों की हत्या की थी। लेकिन महादेव युद्ध के परिणामस्वरूप होने वाले विनाश से काफी निराश थे इसलिए, पांडवों से नहीं मिलने के लिए भगवान शिव को खुद को एक बैल के रूप में बदल लिया।
इन सब के बावजूद पांडु पुत्र भीम ने भगवान शिव को पहचान लिया और भक्ति मन से उनके बैल रूपी अवतार का पीछा करने लगे। लेकिन महादेव ने अपने शरीर को फिर से पांच भागों में विभाजित करके किसी तरह भीम के हाथों से सफलतापूर्वक बच निकले। कहा जाता है कि, उनके शरीर के पांच भाग जिस स्थान पर गिरे थे, वर्तमान में वहां पर पांच मंदिर स्थित है। यह माना जाता है कि यह पांच मंदिर पांडव बंधुओं ने बनाया था और आज भी हर साल हजारों भक्त इस मंदिर के दर्शन के लिए यहां आते है।
प्रमुख पर्यटन स्थल
कंचनी ताल- यह स्थान मध्यमहेश्वर से लगभग 16 किमी की दूरी पर स्थित है। यहां पहुंचने के लिए 16 किमी की ट्रेकिंग करनी होगी, जो कई लोगों के लिए मुश्किल काम हो सकता है।
बूढ़ा मध्यमहेश्वर- यह चट्टानों के समूह से बना एक पवित्र मंदिर है। यहां से चौखम्बा पर्वत के अद्भुत नजारें ले सकते है। इसके अलावा यहां से हरक्यूलियन चोटियों की यात्रा कर सकते है। ट्रेकिंग पसंद और नेचर लर्वस के लिए यह स्थान किसी स्वर्ग से कम नहीं है। यहां प्रकृति की अपार सुंदरता के बेहतरीन नज़ारे ले सकते हैं।
ओंकारेश्वर मंदिर- यह मंदिर पांच केदार मंदिरों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। कहा जाता है कि इस मंदिर में भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस मंदिर में शिव की कृपा हमेशा अपने भक्तों पर बनी रहती है। इसलिए कोई भी यहां से खाली हाथ नहीं जाता है। इसे भारत के सबसे पुराने मंदिरों में से एक माना जाता है।
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