माताजी महारानी तपस्विनी भारत की स्वतन्त्रता सेनानी थीं जिनका जन्म 1842 ई. में हुआ था।
- महारानी तपस्विनी का वास्तविक नाम गंगाबाई था।
- माताजी महारानी तपस्विनी 1857 के स्वतंत्रता संग्राम एवं उन्नीसवीं सदी के आठवें दशक से शुरू हुए क्रांतिकारी आन्दोलन के बीच की एक महत्त्वपूर्ण कड़ी थीं।
- प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के असफ़ल रहने के बाद उन्होंने नेपाल में रहते हुए भी महाराष्ट्र और बंगाल में क्रांतिकारी गतिविधियों को प्रोत्साहन व समर्थन जारी रखा।
- बाद में नाना साहेब के साथ नेपाल भागते समय उन्होंने अपना नाम बदल लिया।
- वे पश्चिम भारत की एक छोटी सी रियासत की रहने वाली थी।
- रिश्ते में वे झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की भतीजी लगती थीं।
- 1857 की लड़ाई में उन्होंने अपनी पराक्रामी चाची के साथ अंग्रेजों से संघर्ष किया था।
- नेपाल पहुँचकर माताजी ने वहाँ बसे भारतीयों में देशभक्ति की भावना का संचार किया।
- वहाँ रहते हुए वे देश के क्रांतिकारीयों से बराबर सम्पर्क बनाए रहीं।
- नेपाल के प्रधान सेनापति चन्द्र शमशेर जंग की मदद से उन्होंने गोला-बारूद व विस्फोटक हथियार बनाने की एक फैक्ट्री खोली ताकि क्रांतिकारीयों की मदद की जा सके अंतत: अंग्रेज़ सरकार को इसका पता लग गया और गिरफ़्तारी से बचने के लिए वे कलकत्ता चली आईं।
- कलकत्ता में उन्होंने प्रसिद्ध 'महाकाली पाठशाला' खोली। जिसमें बालिकाओं को राष्ट्रीयता की शिक्षा दी जाती थी।
- उन्होंने क्रांतिकारी गतिविधियाँ भी गुप्त रूप से जारी रखीं।
- 1902 ई. में जब बाल गंगाधर तिलक कलकत्ता आए तो उनकी माताजी से मुलाकात हुई।
- 1907 ई. में माताजी की मृत्यु हो गई।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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