मायूरम
मायूरम दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य में स्थित प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है। यहाँ बहुत-से मंदिर है। इस स्टेशन का नाम 'मायावरम' है। तमिल में इसका नाम 'मयीलाडूतुरै' है। यह नगर कावेरी के तट पर है। यहाँ कई धर्मशालायें हैं।
यहाँ का मुख्य मंदिर मयूरेश्वर है। मंदिर में ही अभयाम्बा (पार्वती) का मंदिर है। मंदिर के घेरे में एक बड़ा सरोवर है।
दर्शनीय स्थल
वृषभ तीर्थ– यह तीर्थ कावेरी नदी के तट पर स्थित है। यहाँ नन्दी ने तप किया था।
ब्रह्मतीर्थ– यह मयूरेश्वर मंदिर में ही स्थित है। मंदिर में ही अगस्त्य तीर्थ (चतुष्कोण कूप) है।
दक्षिणामूर्ति मंदिर– यह तीर्थ कावेरी नदी से उत्तर दिशा में स्थित है। यहाँ आचार्य रूप में भगवान शिव ने नन्दीश्वर को उपदेश किया था।
सप्तमातृ का मंदिर– यह मंदिर मयूरेश्वर मंदिर से उत्तर की ओर सड़क पर स्थित है।
ऐय्यारप्पर– यह मंदिर मयूरेश्वर मंदिर के पश्चिम की ओर स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।
आस पास के अन्य तीर्थ
वाजूर– मायूरम से 5 मील की दूरी पर यह स्थान है। यहाँ शंकरजी विराटेश्वर रूप में है। यहाँ के विषय में कथा है कि ऋषियों ने एक मायागज शंकरजी की परीक्षा के लिए भेजा। शिव ने उसको मारकर उसका चर्म धारण कर लिया। पार्वतीजी स्कन्द को गोद में लिये यहाँ समीप खड़ी हैं। हाथी भी नन्दी के समीप है।
तिरुक्कडयूर– मायूरम से 12 मील दक्षिण यह शैवमत का गढ़ है। यहाँ अमृतकेश्वर शिव मंदिर है। यहीं मार्कण्डेय की यमराज से रक्षा के लिए शंकरजी लिंगमूर्ति से प्रगट हुए थे।
तिरुच्चेन्गाट्टंगुडि– यह मायूरम से 15 मील की दूरी पर है। यहाँ गणेशजी मानव मुख हैं। गजमुखासुर को इसी रूप से उन्होंने यहाँ वध किया। संत शिरुतोण्डनायनार की यह निवास भूमि है।
इनके अतिरिक्त मारियम्मन (शीतलादेवी) ऐमनार (शास्ता) के मंदिर हैं। स्टेशन मार्ग में शारंगपाणि मंदिर तथा मयूरेश्वर से एक मील पर काशी विश्वनाथ मंदिर है। कावेरी पार श्रीरंगनाथजी का मंदिर है।
पौराणिक कथा
दक्ष के यज्ञ में रुद्रगण जब यज्ञ ध्वंस करने लगे तो एक मयूर सती की शरण में आ गया। देह त्याग के समय उस मयूर का स्मरण रहने के कारण सती मयूरी होकर उत्पन्न हुईं। उन्होंने शंकरजी की आराधना की। भगवान शिव ने प्रकट होकर दर्शन दिये। सती ने मयूरी देह त्याग कर हिमालय के यहाँ अवतार धारण किया[1]।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिन्दूओं के तीर्थ स्थान |लेखक: सुदर्शन सिंह 'चक्र' |पृष्ठ संख्या: 120 |