मिलन हिन्दी साहित्य के प्रसिद्ध साहित्यकार रामनरेश त्रिपाठी द्वारा रचित खण्डकाव्य है, जिसका प्रकाशन सन 1917 ई. में हुआ था।
- 1953 तक 'हिन्दी मंदिर', प्रयाग से इसके नौ संस्करण निकल चुके थे।
- 'मिलन' एक प्रेमाख्यानक खंडकाव्य है, जिसमें कवि द्वारा निर्मित एक सूक्ष्म कथातंतु के माध्यम से दाम्पत्य जीवन, प्रकृति तथा देश भक्ति की भावनाओं का बड़ा सरस वर्णन किया गया है।
- इस खण्ड काव्य की भाषा सरस, प्रवाहपूर्ण खड़ीबोली है तथा कविता की दृष्टि से इसमें स्वच्छंदतावादी प्रवृत्तियों का समावेश हुआ है।
- खड़ीबोली के काव्यात्मक विकास के लिए रामनरेश त्रिपाठी की यह प्रारम्भिक कृति अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुई है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ धीरेंद्र, वर्मा “भाग- 2 पर आधारित”, हिंदी साहित्य कोश (हिंदी), 446।