मुनिहि राम बहु भाँति जगावा

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मुनिहि राम बहु भाँति जगावा
रामचरितमानस
रामचरितमानस
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली चौपाई और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड अरण्यकाण्ड
चौपाई

मुनिहि राम बहु भाँति जगावा। जाग न ध्यान जनित सुख पावा॥
भूप रूप तब राम दुरावा। हृदयँ चतुर्भुज रूप देखावा॥9॥

भावार्थ

श्री रामजी ने मुनि को बहुत प्रकार से जगाया, पर मुनि नहीं जागे, क्योंकि उन्हें प्रभु के ध्यान का सुख प्राप्त हो रहा था। तब श्री रामजी ने अपने राजरूप को छिपा लिया और उनके हृदय में अपना चतुर्भुज रूप प्रकट किया॥9॥



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मुनिहि राम बहु भाँति जगावा
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चौपाई- मात्रिक सम छन्द का भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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