मेघालय की अर्थव्यवस्था
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भूमि की विपुल मात्रा में उपलब्धता, साझा स्वामित्त्व और उत्तराधिकार की एकवंशीय प्रणाली ने मेघालय की अर्थव्यवस्था के क़बीलाई चरित्र को बनाए रखा। मेघालय की भरपूर प्राकृतिक संपदा में कोयला, चूना- पत्थर, केओलिन, फ़ेल्डस्पार, स्फटिक, अभ्रक, जिप्सम और बॉक्साइट जैसे खनिज पाए जाते हैं, लेकिन उनका अभी समूचित दोहन नहीं हो पाया है। यहाँ के सिलीमेनाइट के भंडार (उच्च स्तरीय चिकनी मिट्टी के स्रोत) दुनिया में सबसे श्रेष्ठ माने जाते हैं और भारत का लगभग सारा सिलीमेनाइट यहीं से प्राप्त किया जाता है।
उद्योग
मेघालय में कोई भारी उद्योग नहीं है; लघु इलेक्ट्रोनिक्स संयंत्र शामिल हैं। कुल मिलाकर यहाँ मात्र 56 पंजीकृत कारख़ाने हैं और छोटे उद्योगों की 1,941 इकाइयाँ हैं 1993 में राज्य में 25,43,000 टन कोयला और 2,09, 000 टन चूना- पत्थर का उत्पादन किया गया। बिजली परियोजनाओं की स्थापित क्षमता केवल 194 मेगावॉट है। यहाँ वि-उद्योगीकरण के संकेत भी दिखने लगे हैं।
कृषि
कृषि यहाँ की प्रमुख आर्थिक गतिविधि है, हालांकि खेती का रक़बा कुल क्षेत्रफल के नौ प्रतिशत से भी कम है। भूमि का स्वामित्व साझा है, किंतु झूम खेती (वृक्ष जलाकर उनके स्थान पर चक्रीय खेती करना) ने लोगों को बेहद ग़रीब बना दिया है और मिट्टी का क्षरण किया है। प्रमुख फ़सलों में चावल, ज्वार- बाजरा, मक्का, आलू, काली मिर्च, मिर्च, कपास, अदरक, मेस्ता, जूट, सुपारी, कसाव व फल (जिनमें अन्ननास, केला, संतरा और आम शामिल हैं) और सब्जियाँ शामिल हैं।
संचार व परिवहन
राज्य में आंतरिक संचार प्रणाली अल्प विकसित है और बहुत से इलाक़े अब भी अलग-थलग हैं। राज्य में सड़कों की लंबाई केवल 6,022 किलोमीटर है। मेघालय में कोई रेलमार्ग नहीं है। उत्तर में गुवाहाटी (असम) से दक्षिण में करीमगंज (असम) तक जाने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग इस राज्य से गुज़रता है। शिलांग के लिए विमान की वायुदूत सेवा (घरेलु हवाई सेवा, जो कम सवारियों और छोटी दूरी के उपयुक्त है) उपलब्ध है। केवल 36 दूरभाष एक्सचेंज हैं।
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